सबसे पहले मैं आपको एक खुशखबरी देना चाहता हूँ कि भगवान जी की असीम कृपा से मेरे घर दो बेटियों ने जन्म लिया है । हम उनकी देखभाल में लगे हुए हैं। कल मेरी श्रीमती जी ने मुझे कहा कि अंजीर खानी है बाज़ार से ले आना तब मैंने उनको आज से तकरीबन दस साल पहले स्कूल के किसी प्रोजेक्ट के लिये अंजीर के बारे में एकत्रित किया हुआ तथ्य सुनाया तब उसने कहा कि ये बहुत ही रोचक और मजेदार है आप इस पर लिखो जिससे आपके विद्यर्थियों को भी इस तथ्य का ज्ञान हो । तो ये मेरा पहला लेख है मूझे यकीन है की आप मेरी गलतियों को नजरअंदाज करेंगे और लेख का आनंद लेंगे।
अंजीर (चिमली)
अंजीर एक ऐसा फल जो स्वादिष्ट तो है पर इसकी अपनी कोई तेज़ सुगंध नही है। ये नाशपति के आकार का तथा रंग में हल्का पीला या गहरा सुनहरी होता है।
अंजीर में
63 प्रतिशत कार्बोहाइड्रेट
7.3 प्रतिशत सेलूलोज
5.5 प्रतिशत प्रोटीन
1 प्रतिशत वसा
20.8 प्रतिशत जल होता है
अंजीर आयरन, विटामिन, सोडियम और पोटैशियम का अच्छा स्रोत है।यदि किसी को दूध से एलर्जी है तो वह उसकी स्थान पर अंजीर ले सकता है अंजीर दूध का अच्छा ऑप्शन है। अंजीर लोग को बहुत स्वादिष्ट लगती है पर बहुत ही कम लोग जानते है कि ये स्वादिष्ट और पौष्टिक अंजीर हमें कीड़ो की देन है। आज मैं आपको इससे जुड़ी एक बहुत ही रोचक तथ्य की जानकारी दूँगा।
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बात है सन 1880 की अमेरिका में अंजीर लोगो का पसंदीदा फल था परन्तु अमेरिका में अंजीर की खेती नही होती थी अंजीर तुर्की से इम्पोर्ट की जाती थी। लोगों को अंजीर इतनी पसन्द थी कि अंजीर का नाम सुनते ही उनके मुंह में पानी आ जाता । एक अखबार ने अपनी अखबार की बिक्री बढ़ाने के लिए (कीड़ो के उपहार) अंजीर का इस्तेमाल किया। उन्होंने तुर्की से अंजीर की कई हज़ार कलमे मंगवा ली और अपने अखबार के पाठकों को दी जिससे उनके अखबार के पाठकों की संख्या बढ़ गई। अमेरिका के लोगों ने बड़े चाव से कलमें लागई उनकी देखभाल की । समय के साथ पेड़ बने और उन पर कोपलें भी आयी। अमेरिका के लोगों को बस अब इंतज़ार था कलियों के फल बनने का। पर निराशा हाथ लगी किसी भी वृक्ष पर कोई फल नही लगा सभी कलियाँ सुख गई। सभी परस्थितियों अनुकूल थी फिर भी फल का न लगना एक रिसर्च का विषय था। विशेषज्ञों की समिति बनाई गई और एक टीम को तुर्की भेजी गई। वहां टीम ने देखा कि वहां दो प्रकार के अंजीर के पेड़ थे एक जंगली अंजीर के पेड़ और दूसरे स्मर्ना अंजीर के पेड़। उन्होंने देखा कि छोटे छोटे कीड़े जंगली अंजीर के पेड़ो से निकलते और उड़ते हुए सीधा स्मर्ना अंजीर की कलियों में घुस जाते। वास्तव में ये कीड़े अंडे देने के लिये स्मर्ना अंजीर के मादा पुष्पों में घुस जाते थे पर वहां की जटिल सरचना के कारण जल्दी ही बाहर आ जाते थे परंतु यहां ये नर पुष्प के पराग मादा पुष्प तक ले जाते थे । तो यही वो कीड़े थे जिनके कारण अंजीर का फल बनता था वास्तव में ये कीड़े परागण में अहम भूमिका निभाते। ये कीड़े नर पुष्पों से पराग ले जाकर बीज बैठाने का काम करते थे। तब अमेरिका के वैज्ञनिकों की टीम जंगली अंजीर की कलमे और वो किड़ो को भी अपने साथ ले गई। इस प्रकार हम यह खोज पाए कि ये अंजीर कीड़ो का दिया हुआ इंसान को नायाब तोहफा है।
कीड़े का नाम : ब्लास्टोफेगा
निवास : जंगली अंजीर (केप्री फिग) की कटोरी
अन्डे देने का स्थान : अंजीर के मादा फूल
पंचकूला( मोरनी )की तरफ ये फल चिमली के नाम से जाना जाता है।