जिज्ञासु,सृजनशिलता व सकारात्मकता से भरपुर सितारा नकारात्मकता के एक झटके में विदा हो गया
सुशांत सिंह राजपूत की पहली फिल्म काई पो चे से ही अपने अभिनय से सभी को प्रभावित किया था! लेकिन सुशांत के लिए सिर्फ एक अभिनेता से ज्यादा कुछ था।
सुशांत को कई चीजों का शौक था। खगोल विज्ञान से लेकर यात्रा तक, वह यह सब जानना चाहता था, और यह सब करना चाहता था।
उन्होंने एक बार कहा था कि अंतरिक्ष यात्री बनना और नासा में काम करना उनका बचपन का सपना था। लेकिन क्योंकि वह इसे हासिल नहीं कर सका, तो वह उसी सपने के साथ अन्य बच्चों के साथ जी रहा था।उन्होंने दो बच्चों को नासा भेजा था, जिनमें से एक ने स्वर्ण पदक भी जीता है और अब एक अंतरिक्ष यात्री बनने के लिए प्रशिक्षण ले रहा है। सुशांत ने संयुक्त राज्य में अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन में 100 और बच्चों को भेजने की योजना बना रखी थी।
उन्होंने अपने टेलीस्कोप के साथ शनि के छल्ले को देखने के लिए अपने घर के आसपास बच्चोें को बुला लेते थे। यह बहुत स्पष्ट है कि वह खगोल विज्ञान, इतिहास और पढ़ने के बारे में कितना भावुक था।यहां तक कि उन्होनें रहने वाले कमरे में भी एक दूरबीन रखी रहती थी, जिसमें से वह अक्सर टकटकी लगाए रहते थे, और शनि के छल्ले, बृहस्पति के चंद्रमा और विभिन्न आकाशगंगाओं को देखते थे।
सुशांत ने चंद्रमा पर एक भी भूमि खरीद रखी थीं
अमेरिका स्थित एस्ट्रोफिजिसिस्ट और वैज्ञानिक डॉ करण जानी ने सुशांत सिंह राजपूत को खगोलविज्ञानी उत्साही और एक उत्साही पाठक बताया।
बॉलीवुड के अधिक प्रतिभाशाली सितारों में से एक, श्री राजपूत का नुकसान फिल्म उद्योग के लिए गहरा है। डेविड बॉवी के 1969 के गीत स्पेस ओडिटी के बोल इस नुकसान को खूबसूरती से समेटते हैं जब वे कहते हैं कि आज सितारे बहुत अलग दिखते हैं।
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सुशांत सिंह राजपूत ने अपनी बालकनी में एक उन्नत दूरबीन रखते थे और अमेरिका में लिगो वेधशालाओं का दौरा करने की इच्छा भी थी।
राजपूत ने सोनचिरैया की शूटिंग के दौरान चंबल में भी दूरबीन को साथ ले गये थे ताकि वह निहारिका को बेहतर तरीके से समझ सकें।
श्री राजपूत ने प्रशंसकों को एशियन पेंट्स के लिए 2018 के वीडियो में अपने बुकशेल्फ और टेलिस्कोप की झलक दी थी।
अगर देखा जाय तो एक ऐसा युवक जो जिज्ञासू होने के साथ ही सृजनशील व सकारत्मक भी था लेकिन नकारात्मक पल ने एक झटके में उसे इस दूनिया से विदा कर दिया । शायद उसकी वहां जायदा जरूरत हो।