जल विद्युत अपघटन विधि से वायरस व बैक्टीरिया को खत्म करने का विज्ञान:-
जल में विद्युत का प्रवाह करने पर जल का अपघटन ही जल विद्युत अपघटन कहलाता है या जल योगिक में विद्युत का प्रवाह करने पर उनके रासायनिक बन्ध को तोडना ही जल विद्युत अपघटन कहलाता है । इस विधि का प्रयोग सामान्यतः जल में अशुद्धि को दुर करने , हाइड्रोजन और ऑक्सीजन को विघटित करने आदि में प्रयोग किया जाता है । जल विद्युत अपघटन विधि को एक प्रयोग द्वारा समझा जा सकता है इसके लिए हमें 2 मीटर लंबी व ,0.5mm. व्यास की दो कोपर के तार, दो एल्युमिनियम के क्लिप,दो नट व बोल्ट की आवश्यकता होती है।
सर्वप्रथम हम तार के दोनों सिरों को छिलकर एक सिरे पर अलग अलग तार पर क्लिप को नट व बोल्ट की साहयता से जोड़ लें। अब एक ढक्कनदार प्लास्टिक की बाल्टी में तीन लीटर पानी डालकर उसमें सब्जियां जैसे आलू , करेला,हरी मिर्च, शिमला मिर्च, भिंडी,लोकी,तोरी, काशीफल,अदरक,प्याज, कटहल आदि या फल जैसे सेब,संतरा,अन्नास,अंगुर, आदि या कपड़े,प्लास्टिक वस्तु इत्यादि को डाल कर तार में 150वोल्ट से 270 वोल्ट विद्युत का प्रवाह करते हैं फिर 30 सेकेण्ड से 2मिनट के बाद विद्युत का प्रवाह बन्द कर करके डाली हुई वस्तु को बाहर निकाल लें ऐसा करने पर कपड़ों , सब्जियों व प्लास्टिक की वस्तु पर बैक्टीरिया, विषाणु का प्रभाव नहीं पड़ता है क्योंकि ये नष्ट हो जाते हैं ऐसा इसलिए है जब दोनो किल्पो के मध्य प्रबल विद्युत को प्रवाहित किया जाता है तब जल के अंदर प्रबल विद्युत क्षेत्र उत्पन होता है जिसे ताजी सब्जियों-फलों की ऊपर वाली परत पर लगे बैक्टीरिया वायरस सहन नहीं कर सकते जिस कारण उनकी मृत्यु हो जाती है और सब्जियों-फलों की अंदर की परत सुरक्षित रहती है
यदि यह विधि में अधिक समय तक विद्युत का प्रवाह किया जाये तब सब्जियों-फलों की अंदर की परत में विटामिन नष्ट हो जाते हैं। इस विधि का प्रयोग पत्तेदार सब्जियां के लिए नहीं किया जा सकता क्योंकि पत्तेदार सब्जियों की ऊपरी परत बहुत कोमल होती है जिसके कारण पत्तीदार सब्जियो की प्रबल विद्युत क्षेत्र को सहन करने की क्षमता वायरसों से कम होती है जिसके कारण पत्तीदार सब्जियो के अंदर के विटामिन प्रोटीन वसा जल्दी नष्ट हो जाते हैं।