जानी के कार्तिकेय ने बनाया ग्र्राइंडर


रचनाशीलता किसी की मोहताज नहीं होती ये बात सिद्व कर रहा हैं हमारा ग्रामीण क्षेत्र का विज्ञान योद्वा। जब हम ठंडे पानी में चीनी घोलने की कोशिश करते हैं तब पुरी नही घूल पाती बस फिर क्या था उसने वद्युत चुंबक के सिद्धांत पर आधारित बना डाला ये उपकरण।
सबसे पहले एक मोटर लिया जो  विद्युत चुंबक के सिद्धांत पर आधारित है। अब नोडियम की चुंबकीय ली और बड़ी पुली पर चारों साइड लगा दी, फिर दो तार धनात्मक व ऋण आत्मक निकाल दिए फिर 1 सेल लिया और स्विच लिए। इन दोनों में भी धनात्मक व ऋण आत्मक तार निकाल कर इन्हें आपस में जोड़ दिए।और इन्हें एक डिब्बे में फिट किया और अब इस डिब्बे के ऊपर एक कांच का गिलास रख दिया और उसमें पानी और चीनी डाल दी। और इसमें चार छोटी नोडियम की चुंबक के भी डाल दी। जब स्विच खोलते हैं तो मोटर घूमने लगता है, जिसके कारण पानी के अंदर पड़ी मैगनेट भी घूमने लगती है और पानी भी घूमने लगता है। जिस कारण चीनी पूरी घुल जाती है। यही इसका सिद्धांत है।


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