सोशल डिस्टेंसिग  को सफल बनाने की दो नई विधिया

सोशल डिस्टेंसिग  को सफल बनाने की दो नई विधिया :-        


आज दुनिया में खलबली मचाने वाला अदृश्य शत्रु  कोरोना वाइरस 162 देश में फैल गया है ।अभी तक इसकी कोई वेक्सीन  वैज्ञानिकों द्वारा नहीं बनीं है लेकिन कोरोना वायरस को हराने की ढाल हम सब के पास है । इस ढाल का नाम वैज्ञानिकों ने "सोशल डिस्टेंसिग" नियम को बताया है और इसकी मुख्य कडी केवल आम आदमी को बताया है। जिन स्थानों पर इस नियम का पालन नहीं होता वे स्थान रेड जोन में आने की संभावना बनती है।इस नियम की मध्य दुरी एक मीटर बताई गई है ।सोशल डिस्टेंसिग एक नियम ही नही बल्कि प्रत्येक देश के नागरिक की जिम्मेदारी बन गई है और यह जिम्मेदारी केवल कोरोना योध्दा की ही नहीं बल्कि देश के प्रत्येक नागरिक का दायित्व भी है ।


दूनिया के पहले विज्ञान आधारित रियलिटि शो विज्ञान घर का निशुल्क पंजिकरण आनलाइन प्रारम्भ किया जा रहा है।   विज्ञान घर का सदस्य बनने के लिए यहा पंजीकरण करे।


https://forms.gle/eYbnC3q2ri5PjfBd8


अब हम कुछ नई विधियों का वर्णन करेंगे जो कि  सोशल डिस्टेंसिग नियम को सफल बनाने में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभायेंगी यह निम्न हैं -                                    


     (1) छाता विधि: - छाता शब्द  संस्कृत में छत्र अर्थात छत्रम  से बना है जिसका अविष्कार प्राचीन भारत में  महाभारत  काल से भी पहले माना गया है । छत्र का प्रयोग महाभारत काल में राजाओं के रथ पर किया गया था जो कि उन्हें सूर्य की हानिकारक पराबैंगनी  किरणों के साथ साथ दुर की वस्तुओं को दिखाने में भी साहयक था । अतः छाता प्राचीन काल से ही भारत में विख्यात है। अब हम बात करते हैं कि सोशल डिस्टेंसिग में छाता अपनी महत्वपूर्ण भूमिका कैसे निभाता है । इस  विधि में हम 0.5 से 2 मीटर व्यास वाले छाता का प्रयोग करते हैं । कल्पना कीजिए कि लाकडाउन के समय प्रत्येक व्यक्ति घर से छाता लेकर बाहर निकले और तब वह बात करें , मार्केट से  जरुरत का सामान ले या  घुमने के लिए निकले आदि क्रियाएं हो सकती है तब इस स्थिति में  प्रत्येक व्यक्ति की कम से कम मध्य दुरी एक मीटर होगी । जिसमें कि सोशल डिस्टेंसिग नियम का उल्लघंन नहीं होता है । वैसे तो हम छाता का प्रयोग गर्मीयो के दिनों में , बरसात के दिनों में व धुल कणों से बचने के लिए भी करते हैं ।



(2)  रिंग मुकुट विधि                       


 (2)  रिंग मुकुट विधि : - प्राचीन भारत में  किसी राज्य का राजा मुकुट का प्रयोग अपने सिर को सुरक्षित रखने के लिए किया करते थे और मुकुट किसी राज्य के राजा का भी प्रतीक भी माना जाता था लेकिन वर्तमान समय में आज हम हेलमेट का प्रयोग सिर की सुरक्षा के लिए किया करते है । अब बात करते  है रिंग मुकुट विधि की इसे हम घर पर कैसे बनाएं और यह विधि किस प्रकार से सोशल डिस्टेंसिग नियम में साहयक है । इसके लिए हमें 2 मीटर व्यास  तथा 0.2 से 0.5 mm. की प्लास्टिक की वृर्ताकार चादर ,नट व बोल्ट और हेलमेट या कैप की आवश्यकता होती है ।  इसके लिए हमें 2 मीटर व्यास वाली प्लास्टिक की वृर्ताकार चादर की आवश्यकता होती है यह चादर 0.2 से  0.5 mm. तक होनी चाहिए जिसमें कि 10 से 50 ग्राम वजन होना चाहिए । अब  इस चादर के केन्द्र पर 1cm व्यास का होल करें । अब आपके पास रखें हेलमेट या कैप के केन्द्र में भी 1cm.व्यास का होल कर  प्लास्टिक चादर वह कैप के केन्द्र को मिला कर नट व बोल्ट को कस दे अब आपका रिगं मुकुट तैयार है  । जब हम किसी अन्य व्यक्ति से बात करते हैं तब आपकी व बात करने वाले व्यक्ति की बीच की दूरी स्वत: एक मीटर हो जाती है