एक ऐसी चीज जिसके बिना कोई भी सब्जी अधूरी और बेस्वाद होतीं है वो सब्जी मे डलने के बाद दिखाई भी नही देता अगर सब्जी मे ठीक मात्रा मे हों तो सब्जी मे स्वाद होता है अगर ना हों तो सब्जी बेस्वाद हों जाती है अगर ज्यादा कम हो तो भी नुक्सान अगर मात्रा ज्यादा हो तो भी हमारे शरीर को हानि होतीं है अब तो आपकी समझ मे आ ही गया होगा की यहाँ हम नामक की बात कर रहे है यानी सोडियम क्लोराइड (NaCl) की हम सभी मुख्यतः तीन प्रकार के नमक का प्रयोग अपने दैनिक दिन चर्या मे करते है पहला साधारण नमक दूसरा सेंधा नमक और काला नमक।
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1. पहली बात करते है साधारण नमक की जो हमें समुद्र से नमकीन जल स्रोत नदी झील व झर्नो से पारदर्शक घनाकार क्रिस्टल के रूप मे प्राप्त होता है कभी - कभी अन्य खनिज लवणो की वजह से हल्का पीला रंग का क्रिस्टल होता है इस नमक को मशीनों द्वारा शुद्ध किया जाता है और नमक मे 94 प्रतिशत से 97 प्रतिशत तक सोडियम क्लोराइड (NaCl) के साथ आयोडीन और बाकी अन्य अन्य तत्व मिलाये जाते है यह नमक खाने मे बहुत तेज होता है इसीलिए विशेषज्ञ इसकी मात्रा को कम लेने की सलाह देते है।
2. अब जानते है सेंधा नमक के विषय मे इस नमक को कई नाम से जानते है व्रत का नमक, लाहौरी नमक, पहाड़ी नमक व इसको rock salt के नाम से भी जाना जाता है। यह नमक हमे भारत मे हिमाचल प्रदेश व राजस्थान की शांभर झील से प्राप्त होता है यह अधिक मात्रा में पाकिस्तान के पंजाब के झेलम जिले के खेवरा खानों से निकलता है यहाँ नमक की पहाड़ीया है और यह नमक पहाड़ी के निचली हिस्से से निकाला जाता है हर साल यहा से 4.65 लाख टन नमक निकाला जाता हैं यह विश्व की दूसरे नंबर की सबसे बड़ी सेंधा नमक की खान है यह नमक सफ़ेद, हल्का गुलाबी व लाल व केसरी रंग का खान से निकलता है इस नमक को रिफान् नहीं किया जाता यह स्वत ही शुद्ध होता है इस नमक मे सोडियम क्लोराइड 84 परसेंट ही होता हैं बाकी मे अन्य खनिज जैसे आयोडीन, कापर जिंक, आयरन, मैंगनीज, सेलेनियम, मैग्नेशियम, कैल्शियम, पोटैशियम जैसे 84 खनिज तत्व् पाये जाते है जो हमारे शरीर के लिए बहुत ही लाभकारी होते है। इस नमक को आयुर्वेद बहुत प्रयोग मे लाया जाता हैं इस नमक की तासीर ठंडी होती है इसलिए अनेक रोगों को ठीक करने के लिए भी इसका प्रयोग किया जाता है जैसे इसके प्रतिदिन सेवन करने से उच्च रक्तचाप ( हाई बी पी ) की समस्या का निवारण होता हैं। इसके सेवन से साइनस, अस्थमा, पित रोग, तनाव, से राहत पाने के साथ साथ यह पाचनतंत्र को मजबूत बनता है पैरो मे सूजन या माशपेसियो मे जकड़न होने पर इस नमक के गुनगुने पानी से सिकाई करने से इस समस्या से भी राहत मिलती है। सेंधा नमक हल्का होता हैं और प्राकृतिक रूप से शुद्ध होता है इसलिए इसे विशेषज्ञ व्रत के साथ साथ दैनिक प्रयोग मे इसके सेवन के लिए सलाह देते है।
3. काला नमक यह नमक भी सेंधा नमक की तरह ही एक खनिज नमक यानी हिमालयी नमक है यह नमक पाकिस्तान, बंगला देश, नेपाल के निकाला जाता है बहुत जगह पर इसे बनाया भी जाता है सेंधा नमक के पानी मे हरड के बीज को डाल कर बहुत तेज तापमान पर रखा जाता जिस कारण पानी भाप बनाकर उड़ जाता है और हल्के काले रंग के क्रस्टल रह जाते इस नमक को जब पिसा जाता है तो यह हल्का गुलाबी रंग का हो जाता है काला नमक बहुत ही गुणकारी होता है इस नमक मे सोडियम क्लोराइड के साथ साथ सोडियम सल्फेट, आयरन सल्फाइड, हाइड्रोजन सल्फाइड की कुछ मात्रा होती है जिसके कारण इसका स्वाद अलग होता है काला नमक पेट की सभी गैस संबंधी रोगों को ठीक करता है यह हमारे पाचन की झमता को बड़ाता है इसे हाजमे के लिए भारत के साथ साथ दक्षिण एशिया मे बहुत उपयोग मे लाया जाता है। यह नमक रेचक व पचान की गोली बनाने मे भी kam आता है। इस नमक का भी आयुर्वेद मे दवा बनाने मे भी काम आता है इसके साथ साथ काला नमक हर घर मे चाट, चटनी मे, रायते मे और दही मे पोदीना काला नमक व जीरे को डालकर प्रयोग किया जाता हैं ।
एक स्वस्थ मनुष्य को एक दिन मे 6 ग्राम तक ही नमक का सेवन करना चाहिए वैसे एक शोध के अनुसार बंद डिब्बे के खानों से और फास्ट फूड से मानव 8 से 10 ग्राम तक अन्य स्रोत से भी नमक ग्रहण करता है इसलिए हमे सोच समझ कर ही नमक का अत्यधिक सेवन करना चाहिए। क्योकि नमक की सीमित मात्रा और इसकी विशेषता और नमक की जनकारी हमें बहुत से रोगों से बचा सकती है।