मूंगफली के गुण और खेती- तैयार हो जाओ बोने का समय आ गया

मूंगफली के गुण और खेती
सर्दियों के शुरू होते ही हम सबका मन करता हैं।  मूंगफली खाने का।  मूंगफली सबका अत्यन्त चहेता  सूखा मेवा हैं। इसे गरीबों का  बादाम भी कहा जाता हैं। मूंगफली कुपोषण से भी शरीर की रक्षा करती हैं। मूंगफली अनेकों गुण से भरपूर बीज हैं। मूंगफली के दाने में 22 से 28 प्रतिशत प्रोटीन,10-12 प्रतिशत कार्बोहाइड्रेट व 48 से 50 प्रतिशत वसा पाई जाती हैं। शोधानुसार 100 ग्राम कच्ची मूंगफली से  1 लीटर दूध के जितना प्रोटीन हमारे शरीर को मिलता हैं। प्रोटीन के साथ साथ मूंगफली में कैल्शियम, आयरन, जिंक, मैग्नीशियम, पोटैशियम,मैगनीज, कॉपर, सेलेनियम के साथ ही साथ  विटामिन ई, विटामिन बी 6, विटामिन एच पाया जाता हैं जो हमारी त्वचा के लिए अत्यन्त लाभदायक होता हैं ।


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मूंगफली में भरपूर फाइबर होता हैं जिस कारण मूंगफली खाने के बाद  जल्दी भूख नहीं लगती जिस कारण इसका प्रयोग वजन घटाने में भी किया जाता हैं बच्चों के अच्छे विकास के लिये मूंगफली का सेवन जरूर करना चाहिए क्योंकि शरीर के विकास के लिए जिन आवश्यक तत्वों की आवश्यकता होती हैं वो सारे तत्त्व मूंगफली में भरपूर मात्रा में होते हैं। मूंगफली में उपस्थित विटामिन E हमारी त्वचा को चमकदार बनाता हैं यदि मूंगफली का सेवन हम सही मात्रा व समय पर करते हैं तो यह हमें अनेक रोगों से बचाती हैं।
हमने गुणकारी मूंगफली के फायदों के बारे में तो जान लिया अब जानते हैं ये किस मौसम में ओर कहा होती हैं इसकी पैदावार
मूंगफली की खेती एक साल में दो  की जाती हैं एक बार खरीफ की फसल के समय एक बार जायद की फसल के समय में । जायद की फसल मार्च से अप्रैल के बीच उगाई जाती हैं। गेंहू की फसल कटने के बाद अधिक तर किसान जायद की फसल में  में मूंगफली की फसल को बोते हैं इससे मूंगफली का दाना अधिक निकलता हैं। किसान वैज्ञानिकों के अनुसार  मूंगफली की जायद की फसल अधिक मुनाफा वाली  होती हैं। क्योंकि इस समय फसलों को नुकसान कम होता हैं। खरीफ की फसल  जून से  15 जुलाई  तक बोई जाती हैं पहली बरसात से पहले मूंगफली खरीफ की मुख्य तिलहनी फसल हैं यह वायु और वर्षा द्वारा भूमि को कटने से बचाती हैं। 100 सेंटीमीटर  वार्षिक  वर्षा वाले क्षेत्रों में मूंगफली की पैदावार बहुत अच्छी होती हैं। यह फसल उत्तर प्रदेश में  मुख्यता लखीमपुर खीरी, झांसी, हरदोई, सीतापुर, उन्नाव,  बहराइच, बरेली, एटा, मैनपुरी, फर्रुखाबाद,  सहारनपुर, ओर मुरादाबाद में अधिक क्षेत्रफ़ल में उगाई जाती हैं।
मूंगफली की खेती के लिए दोमट बलुअर या हल्की दोमट मिट्टी अच्छी रहती हैं।  मूंगफली की फसल की बुआई लाइनों में करनी चाहिए और एक लाइन से दूसरी लाइन के बीच की दूरी 25 से 30 सेंटीमीटर की होनी चाहिए। और एक बीज से दूसरे बीज की दूरी 8  से 10 सेंटीमीटर की होनी चाहिए। जिससे दाना गुच्छों के रुप मे फसल के तैयार होने पर फसल को बिना नुकसान के निकाला जा सके। यह फसल 120 से लेकर 150 दिन में तैयार हो जाती हैं।