मानव द्वारा रचित आपदा है ये

दीपक शर्मा / 29 मई -दिल्ली में लगातार आ रहे भुकम्प के झटके हमें कई दिशाओं में सोचने को मजबूर कर रहे हैं आज 4.6 त्रिवता का भुकम्प जिसका केन्द्र बिन्दु रोहतक के पास मात्र 3 किमी की गहराई पर ही है।


पुराना इतिहास बताता हैं कि कम गहराई का केन्द्र जमीन पर नुकसान जायदा पहुचाता है।
23 मार्च से 10 मई तक के बीच अभी तक 11 भुकम्प आ चूके है। भुकम्प के खतरे के नजरिये से देखे तो दिल्ली देश का तीसरे नम्बर का शहर हैं और फाल्ट लाइन के पास होने के कारण भुकम्प लगातार महसूस हो रहे है। पिछले दस साल में दिल्ली ने 100 से जायदा झटके महसूस किये है।


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लगातार बढ़ रहे भुकम्प की करणों पर नजर डाले तो मानव जनित सबसे प्रमुख कारण सामने आ रहा है।
पहला अरावली के पर्वत पर अब उची उची ईमारते बेहताश बना दि गई है। ये केदारनाथ जैसी घटना का आमन्त्रण भी लगता हैं दूसरे जमीन का दोहन पानी और मिटटी के रूप में कानून के बावजूद भी हो रहा हैं


और तीसरा जनसंख्या का दवाब लगातार धरती माॅं को सहन करना पड़ रहा है।
जब हम इन तीन प्रमुख करणो को नही रोक पा रहे हैं तो कैसे अपेक्षा रखते हैं कि इन मानव द्वारा रचित आपदा से कैसे बचा जा साकता है।