बेलनाकार पाइप में  द्रवो का प्रवाह :

 बेलनाकार पाइप में  द्रवो का प्रवाह :                              


  हम जानते हैं कि बेलनाकार पाइपों में द्रवो का प्रवाह होता है जिसकी गणना रेनाल्ड संख्या ,द्रव के अविरतता   सिध्दांत ,बरनोली की प्रमेय  द्वारा की जाती है ।


तरल यांत्रिकी के अनुसार ये प्रवाह दो प्रकार के होते है


 १- धारा रेखीय प्रवाह ।


२- विक्षुब्ध।


इन प्रवाह  को    समझने के लिए हम एक प्रयोग करेंगे । इस प्रयोग को समझने के लिए हमें  ३ सेंमी व्यास * १० मीटर लंबा बेलनाकार रबर का पाइप  ले ।अब इस पाइप को  घर पर लगे समर सेविल में लगा दें और पाइप के दुसरे सिरे को खुले मैदान में स्वतत्रं छोड़ देते हैं ।अब समर सेविल को दो स्थिति में चलाते हैं । पहली स्थिति में समर सेविला को 120 -150 वोल्ट पर ओपन  करते हैं  तब बेलनाकार पाइप  की स्थति में कोई परिवर्तन नहीं होता क्योंकि इस स्थति में बेलनाकार पाइप के किसी एक बिंदु से गुजरने वाले द्रव के सभी कण एक ही मार्ग का अनुसरण करते हैं जिसे धारा रेखीय   प्रवाह  कहा जाता है  इस  प्रवाह में तरल यांत्रिकी के अनुसार रेनोल्ड संख्या का मान 2000 होता है ।


द्रव के अविरतता सिध्दांत के अनुसार (पाइप का क्षेत्रफल * द्रव का   प्रवाह वेग =नियताकं)  द्रव का वेग अधिक तथा बरनोली प्रमेय के अनुसार  द्रव की दाब उर्जा  कम होती है  जिसके कारण बेलनाकार पाइप की स्थति में कोई भी परिवर्तन नहीं होता है अर्थात बेलनाकार पाइप जमीन पर ही पड़ा रहता है ।


अब हम दुसरी स्थिति में समर सेविल को 240 - 270 वोल्ट पर ओपन करते हैं इस स्थति में बेलनाकार पाइप के अन्दर द्रव कणों की गति अनियमित तथा टेढ़ी मेढी हो जाती है और द्रव में भंवर धारा उत्पन्न हो जाती है इस प्रकार के प्रवाह को विक्षुब्ध प्रवाह कहते हैं ।इस प्रवाह में रेनोल्ड संख्या का मान 3000 होता हैं 
 और द्रव अविरतता सिध्दांत के अनुसार द्रव का वेग कम हो जाता है क्योंकि द्रव अणु टिढी मिडी गति के कारण एक दुसरे से टकराते रहते हैं और बरनोली प्रमेय के अनुसार दाब उर्जा बढ़ जाती है जिसके कारण बेलनाकार पाइप की स्थति में परिवर्तन होने लगता है अर्थात बेलनाकार पाइप में द्रव  प्रवाह का वेग कम और द्रव दाब अधिक हो जाने के कारण बेलनाकार पाइप जमीन से ऊपर उठने लगता है तो कभी इधर-उधर गिरने लगता है ।  अतः बेलनाकार पाइप में विक्षुब्ध प्रवाह होने के कारण होता है ‌