बच्चों की तर्कशक्ति बढ़ाता है  भारतीय गणितज्ञ पिंगल का त्रिभुज

बच्चों की तर्कशक्ति बढ़ाता है  भारतीय गणितज्ञ पिंगल का त्रिभुज :-                        


    भारतीय गणितज्ञ पिंगलाचार्य  ने इसका सवप्रथम अध्य्यन अपने छन्द शास्त्र (200ईपू.-400 ईपू.) में अनुमानित है और इस त्रिभुज का वर्णन  हलायुध ने भी अपनी मृतसंजीवनी में किया है। यह त्रिभुज  ब्लेसी पास्कल का , पिंगल का त्रिभुज तथा  हलायुध त्रिकोण के नाम से भी जाना जाता है ।


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अब हम इस त्रिभुज की रचना करेंगे । इसके लिए हमें एक नाटबुक व पेन्सिल की आवश्यकता होती है।      


सवप्रथम अपनी नाटबुक के पृष्ठ पर पांच पंक्ति  बनाईये ।


अब पहली पंक्ति में एक  ,


दुसरी पंक्ति में दो ,


तिसरी पंक्ति में तीन ,


चारवी पंक्ति में चार


व पांचवी पंक्ति में पांच षट्भुज बाक्स का निर्माण करें।


पहली, दुसरी, तीसरी, चारवी व पांचवी पंक्ति के दाये व बाये के प्रत्येक पहले षट्भुज बाक्स में एक संख्या को लिखे । अब दुसरी पंक्ति के दो बाक्स  को जोड़ कर तीसरी पंक्ति के दुसरे बाक्स में लिखें जिसका मान (1+1=2) होगा । अब तीसरी पंक्ति में पहले वह दुसरे बाक्स को जोड़ कर  चारवी पंक्ति के दुसरे बाक्स में और तीसरी पंक्ति के दुसरे व तीसरे  बाक्स को जोड़ कर चारवी पंक्ति के तीसरे बाक्स में लिखें जिसका मान (1+2=3) होगा ।


इसी प्रकार से चारवी पंक्ति के  पहले व दुसरे बाक्स को जोड़ कर पांचवी पंक्ति के दुसरे बाक्स में और चारवी पंक्ति के दुसरे व तीसरे बाक्स को जोड़ कर पांचवी पंक्ति के तीसरे बाक्स  में तथा चारवी पंक्ति के तीसरे व चारवे बाक्स को जोड़ कर पांचवी पंक्ति के चारवे  बाक्स में लिखते हैं जिनका मान पांचवी पंक्ति के दुसरे, तीसरे व चारवे बाक्स (1+3=4),(3+3=6 ) तथा (3+1=4) होता है । इस प्रकार एक त्रिभुज का निर्माण हो जाता है। इस त्रिभुज के दाये व बाये से दुसरे स्तम्भो के मान ऊपर से नीचे की ओर देखने पर  1,2,3,व4 आते हैं जोकि ये संख्या एक दुसरे के पूर्व गुणज होती हैं । इन संख्याओ  विलुप्त करने पर एक खेल बन जाता है जिसमें तर्क लगाया जाता है कि कोन सी संख्या विलुप्त है । इस त्रिभुज का प्रयोग प्रायिकता में भी किया जाता है ।