अंतरराष्ट्रीय वैज्ञानिक डॉ० रामकरण शर्मा ने किया विद्यार्थियों से ऑनलाइन संवाद

अंतरराष्ट्रीय वैज्ञानिक डॉ० रामकरण शर्मा ने किया विद्यार्थियों से ऑनलाइन संवाद


हाल ही में प्रदूषण कम करने के एंजाइम की खोज को लेकर चर्चा में है।


देश भर के विद्यार्थियों से ऑनलाइन संवाद कर किया उनकी जिज्ञासा को शांत।


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जनता वैदिक कॉलेज बड़ौत द्वारा आयोजित ऑनलाइन कार्यक्रम "आओ संवारे कल" के अन्तर्गत अंतरराष्ट्रीय वैज्ञानिकों ने देश के होनहार विद्यार्थियों से सुबह साढ़े 11 बजे इंटरनेट के माध्यम से लाइव संवाद किया जिसमें मुख्य वक्ता डॉ० रामकरण शर्मा ने विद्यार्थियों को संबोधित किया। संवाद में विद्यार्थियों को कोरोना के संबंध में, शिक्षा के संबंध में और अपने कैरियर से संबंधित जानकारी दी और प्रदूषण पर अपनी नई रिसर्च को साझा किया।


डॉ रामकरण मूल रूप से उत्तर प्रदेश के बागपत जिले के टयौढी गांव के रहने वाले हैं और यूएसए, जर्मनी सऊदी अरब में एक प्रसिद्ध अंतरराष्ट्रीय वैज्ञानिक हैं जिनको हाल ही में वर्ल्ड बेस्ट रिसर्चर अवॉर्ड से भी सम्मानित किया गया। वो अक्सर नव युवाओं को प्रेरित करते हैं। इस श्रृंखला में उन्होंने पूरे भारत के सैकड़ों छात्रों के साथ संवाद कर उनकी जिज्ञासाओं को शांत किया और सफलता के रामबाण के विषय में बताया। उन्होंने छात्रों से लॉकडाउन के खाली समय का सदुपयोग करने और उनके भविष्य की योजना बनाने पर भी चर्चा की।


डॉ० रामकरण की यात्रा एक छोटे से गाँव से आईआईटी दिल्ली और फिर सऊदी अरब और अमेरिका के एक प्रतिष्ठित अंतर्राष्ट्रीय विश्वविद्यालय में विश्व-प्रसिद्ध वैज्ञानिक होने के नाते प्रेरणादायक और अनुकरण करने योग्य है। अभी हाल ही में उन्होंने प्रदूषण कम करने से संबंधित एक एंजाइम की खोज की है जिसको लेकर वो चर्चा में है।


 डॉक्टर राम कारण शर्मा जी ने अपने जीवन के अनुभव को बताते हुए बच्चो के मन में उठे सवालों का जवाब दिया जैसे:-कैसे कंपटीशन की परीक्षाओं को पास किया जाए, एकाग्र होकर पढ़ाई कैसे करें, मन में उठ रहे नकारात्मक विचारों से कैसे बचे, परीक्षा में प्रथम स्थान प्राप्त करने के लिए पढ़ाई कैसे करें बच्चों की इन सभी सवालों का जवाब अपने जीवन के अनुभव के आधार पर और कुछ कहानियां सुना कर बच्चों को बहुत अच्छे से समझाया 
उन्होंने बताया कि जब मैं प्राइमरी स्कूल में था तो हमारे यहां इंग्लिश नहीं पढ़ाई जाती थी मैंने ABCD भी 6 क्लास मैं आकर सीखी थी और मुझे अंग्रेजी में वाक्य बनाने में काफी तकलीफ होती थी तब मेरे पड़ोस में रहने वाली एक टीचर ने हम बच्चो को मुफ्त में अंग्रेजी बढ़ाना शुरू किया मैंने इंटर करने के बाद बीएससी करी फिर एमएससी फिर गेट की परीक्षा देने के बाद जब मैं दिल्ली आईटीआई में गया वहां पर सारे बच्चे काफी अच्छी पर्सनैलिटी के थे सब इंग्लिश बोलते थे और मैं सीधा सादा गांव का लड़का मेरी हल्की-हल्की मुछ थी में ट्राउजर पेंट पहनता था और मैं किसी से ज्यादा बात नहीं करता क्यों कि मुझे इंग्लिश नहीं आती थी और वह सब इंग्लिश में ही बात करते जब पहला सेमेस्टर शुरू हुआ उन के साथ पढ़कर ये पता चला कि मेरा ज्ञान भी उन की तरह है तब मैने सोचा कि मैं भी इन बच्चो से कम नहीं हूं तब में ने अपने कॉलेज की बाद इंग्लिश की क्लास लेना शुरू करा और जैसे जैसे में सीखता गया वैसे वैसे मैने अपनी मुछे छोटी करनी सुरू की और जब तक पहले सेमेस्टर खत्म हो कर रिजल्ट आया तब तक मैने अपनी मूछ साफ कर के सीधे जींस में आ गाया यानी " जैसा देश वैसा भेस " मतलब ये है कि हम किसी भी काम को एक दम से नहीं कर सकते धीरे धीरे अपने अंदर बदलाव लना चाहिए जैसे मैने धीरे धीरे अपनी इंग्लिश ठीक की और साथ ही अपनी पर्सनैलिटी पर भी सुधार किया और कभी भी नकारात्मक विचार अपने मन में नहीं आने दिए कि ये मेरे से नहीं होगा या ये बहुत कठिन है में कैसे करेगा और हमेशा खुश रहना चाहिए आप जितना खुश रहेंगे आप का कॉन्फिडेंस भी उतना बड़ जाएगा