योद्धाओं ने रच डाले गीत, कविता और पहाड़े

घर पर  रहो सुरक्षित रहो


फैले-फैले हैं कोरोना चारो ओर, मची हैं मारा मारी।
एक यही है अचूक उपाय, घरों में रहो नर-नारी।।


1.कोरोना हैं एक बीमारी, जाने दुनिया सारी।
   तोड़े हैं कुछ लोग देश मे, नियम शर्ते सारी।
   देखो मोदी जी रहे है समझाय, घरों में रहो नर-नारी।
   एक यही.…..............….........................मारी


2. बहुत जरूरी हो तब निकलो समझो बात हमारी।
    तोड़ोगे गर नियमो को तो बढ़ जाए महामारी।
    दूर दर्शन पर रहे बताय, घरों में रहो नर-नारी।।
    एक यही…………............…….........…मारी


3. बिन कारण निकले,मारेंगे खाकी वर्दी धारी।
    वक्त  रहे न समझ सके तो, दुनिया खत्म तुम्हारी।
    बोलो कैसे तुम्हें समझाये? घरों में रहो नर-नारी।।
    एक यही.........…..........……………...….…. मारी


4.पुलिस डॉक्टर और रखवाले करे व्यवस्था सारी।
   जान हथेली पर रखकर वो, रक्षा करे तुम्हारी
   उनकी मेहनत पर पानी फिरा जाय,घरों में रहो नर-नारी।।
   एक यही है अचूक उपाय, घरों में रहो नर-नारी।
   फैले-फैले हैं कोरोना चारो ओर, मची हैं मारा मारी।


    राजरानी


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कोरोना पहाड़ा
कोरोना एकम खांसी छींक, कोरोना दूनी बुखार।
कोरोना से बचने को, हाथ धो लो बार बार।।


कोरोना तिया सिर दर्द, कोरोना चौके फूले सांस।
पता लगाने कोरोना का, करवालो मेडिकल जांच।।


कोरोना पंजे परिवार में फैले, कोरोना छक्के समाज मे।
हम तक पहुँच न पाए, मौज करो बैठे घर मे।।


कोरोना सत्ते बने भयानक, कोरोना अट्ठे महामारी।
महामारी  से बचने को, अपना लो सामाजिक दूरी।।


कोरोना नममे एक दुश्मन, कोरोना धाम दिखता नहीं।
लड़ना हैं इससे तो, घर से बाहर दिखना नहीं।।


इंसान हैं हम सब, बहुत लड़ाई हमनें लड़ी।
समझ के साथ अबकी लड़ो, तोड़ दो दुश्मन की कड़ी।।


सफलता हैं आगे खड़ी, धैर्य का तुम संग करो।
आज इस समस्या से, आओ सब मिल के लड़ो।।


गीता सचदेवा कपूर 
बेसिक शिक्षा विभाग मेरठ


कोरोना को मिटाना हैं।


कहर तुम यूँ न बरसाओ हमें सबको बचाना हैं,
कोरोना  नाम कर राक्षस को  मिलकर के मिटाना हैं।


कोरोना फैलता हैं जग में यूँ मिलने मिलाने से,
कभी ये गले लगाने से कभी ये कर मिलाने से।
जनों से दूरियां अपनी बनाओ ये बताना हैं,
कोरोना  नाम कर राक्षस को  मिलकर के मिटाना हैं।।
कहर तुम…...…...….….……….…………………………


सुना है लोकडॉउन से हर सकते हैं इसको हम,
घरों अपने रहकर ही हर सकते हैं इसको हम।
घरों को अपनी तुम दुनिया बनाओ ये बताना हैं,
कोरोना  नाम कर राक्षस को  मिलकर के मिटाना हैं।।
कहर तुम…...…...….….……….…………………………


कोरोना से लड़ेंगे हम, ना दुनिया को डरायेगे ,
कोरोना से हमें लड़ना हैं ये साहस बढ़ाएंगे।
मशाले हाथ मे लाओ, हमें जग को जगाना हैं,
कोरोना  नाम कर राक्षस को  मिलकर के मिटाना हैं।।
कहर तुम…...…...….….……….…………………………


राजरानी



विचारो का गुब्बार जब क्रांतिक तापमान, 
के बहुत ऊपर उफान लेने लगता है, 
तब जन्म होता है, 
क्रोध का।
जैसे पानी को ताप मिलते मिलते, 
वो भाप मे तब्दील होता है। 
जिसको संघनन होकर ठंडा होने मे, 
काफी वक्त लगता है,
और इसके साथ  ही अवस्था मे भी, 
परिवर्तन आता है। 
इसी तरह व्यक्ति का क्रोध भी जब, 
शांत होता है, 
वक्त के साथ परिस्थिति,
और शायद रिश्तो की अवस्था, 
मे भी परिवर्तन आ जाता है! 
इसीलिए कहा गया है, 
"क्रोध रिश्तो मे विनाश का एकमात्र कारक है।  "


ऐश्वर्या


शब्दो को कहना, 
और कहने का लहजा, 
क्या एक दूसरे के पूरक नही है? 
 
क्या जैसा सोचा जाता है, 
वैसा कहा भी जाता है? 
अगर कहा भी जाता है, 
तो क्या, 
उचित शब्द और लहजे के साथ? 


बात कहनी ही होती है, 
   तो अक्सर कही क्यों नही जाती? 
अगर कही भी जाती है, 
   तो समझी क्यों नही जाती? 
  
'शब्द' और 'लहज़ा', 
 इन दोनों के जाल न बुन पाने से,
क्या रिश्तो के बुने हुए जाल, 
नही उधड़ रहें है? 


आज इक ऐसी खाई, 
इन दोनों के साथ न होने से,
रिश्तों मे आई है, 
जिसे शायद 'प्यार' नामक 'पुल', 
भी पार नही करा सकता। 
आखिर क्यों?


ऐश्वर्या


मानव ठहर के सुन प्रकृति की पुकार,
अभी नहीं सुनेगा तो कल पछताएगा ।


पेड़ ना हो बड़ा जब ऐसा कल आएगा,
इसमें साया ना हो ना फल आएगा।


पाप के भार से हिम दरक जाएगा,
फिर किसी भी नदी में ना जल आएगा।


लोग तालाब में जब नहाने लगे,
ऐसी दलदल में फिर क्या कमल आएगा।


इतना ज्यादा संवारा है आप ने चमन, 
ना चहकने फिर चिड़ियों का दल आएगा।


मानव ठहर के सुन प्रकृति की पुकार,
अभी नहीं सुनेगा तो कल पछताएगा ।


जॉनी देव कुमार


धन्य हैं राष्ट्र भूमि हमारी
धन्य है राष्ट्रीय भूमि हमारी, आप जैसे समर्पित जो पाए।
आप हो चिकित्सक या सफाईकर्मी, या सुरक्षा बलों से हो आए।।


1). आपने अपना तन मन दिया है,
                 रात ओर दिन भी अपने सौंप डाले।
     इस वैश्विक व्यवधा से बचाने,
                  आपने अपने सपने थोड़ डाले।।
    अब क्यों हम उस ईश्वर को ढूंढे,
                  जब करुणा रूप धर आप आये........


2). आप हैं तो है भारत की जनता,
                  हर किसी घर है त्यौहार मनता।
     आज मानव का जीवन रहेगा,
                  आपकी सेवा से ही पलेगा।
   शीश सबका झुका कृतज्ञता से,
                  हाथ एक जुट  दुआ में उठाएं........


3). प्रण हमारा भी है साथ देंगे,
                  हम भी अब न पीछे  हटेंगे।
     यह कोरोना समाज मे न फैले,
                  इस हित सब कार्य करेंगे।।
     हम जहाँ हैं वहाँ से ही अपनी,
                  अपनी आओ भूमिका निभाएँ.......



गीता सचदेवा कपूर 
बेसिक शिक्षा विभाग मेरठ


ये जंग हम जीत लेंगे
मानवता की यह जंग हैं, न हिन्दू न मुस्लिम की
न ईसाई और सिक्ख की.....................
हम सबको लड़ना हैं
                 जीत लेंगे, यह जंग हम जीत लेंगे
                मिल जुल के....…......…….….……


1). दुश्मन महामारी पूरी दुनिया को घेरे हैं,
     देखे न जाती, धर्म न देखे हैं।
     हम भी केवल इंसा बनाकर, सामना इसका आज करे,
     नाश न करने दे मानव का, आज हम ये प्रण करे।
     आओ सहयोग करे……….…......…………............ 
     जीत लेंगे, ये जंग हम जीत लेंगे मिल जुल के।।


2). जंग ये अलग है, इसका दुश्मन न दिखता हैं,
      बंदूक तलवार से, ये नहीं मरता हैं। 
      हम सब ही वो वाहन हैं, जो अपने घर इसे लाते,
      घर न बैठते ओर  इसको अनजाने में हैं फैलाते।
      आओ घर लॉक करे………….........................
      जीत लेंगे…...…...……..........…................….


3). धीरज-समझदारी, राष्ट्र हमसे माँगे हैं
      दूरी सामाजिक थोड़ी, हमसे मांगें हैं।।
      अनुसाशन सामाजिक दूरी का हैं एक मात्र हथियार।
      भगा दे आओ इसे देश से, हो जाओ घर घर तैयार
      आओ सहयोग करे..…...........….........….…….……
      जीत लेंगे.......…............….............................



गीता सचदेवा कपूर 
बेसिक शिक्षा विभाग मेरठ


वायरस के डराए हैं कोरोना के सताए है 
पढ़ने वाले बच्चे भी पढ़ाई छोड़ के आए हैं 
खाने के लिए भी तो राशन नहीं है घर में 
जो घर से निकले थे पिटाई खा कर आए हैं 
जो दैनिक कर्मी हैं उनका भी रखो तुम ध्यान 
कर्फ्यू के कारण वो कुछ खा नहीं पाएं हैं 
वायरस है चाइना का हर ओर तबाही है 
बड़े बड़े डाक्टर भी वैक्सीन बना नहीं पाएं हैं 
गर चाहते हो तुम बचना इस चाइनीज वायरस से
कह दो तुम हर एक से सैनिटाइजर लाएं हैं
जिसको भी हो कफ़ खांसी क्वारंटाइन वो हो जाए
क्योंकि इस वायरस पर हम काबू नहीं पाए हैं
जो घर से निकलेगा वो राष्ट्र विरोधी हैं
मोदी जी हम सब से अपील करने आए हैं
इस देश के हित में ही लोकडाउन हैं ये ‌‌"खिरद
पर मूर्ख लोगों को हम समझा नहीं पाएं हैं


खिरद जेहरा ज़ैदी


कोरोना कोरोना तुम यहाँ  से
पलायन करो ना, किसने तुम्हे
बनाया,इस जहाँ में उतारा
इतने लोगों को खा गया कोरोना ।
अब  अपनी भूख शांत करो ना
तुम यहाँ से पलायन करो ना 
जहाँ से आये वही दफन हो जाओ कोरोना, पलायन करो ना।।   
          लेखिका-तन्या


*आओ  सीखें*
   *हाथ धोने का सही तरीका*
     # *काव्य के माध्यम से*#


धोलो धोलो धोलो धोलो अपने हाथ,
साफ साफ साफ साबुन से,


धोलो धोलो धोलो धोलो अपने हाथ,
साफ साफ साफ साबुन से,
  
दोनों हाथों को रगडो,
आगे.... पीछे.........
ऊपर.......... नीचे........


अंगुलियों के अंदर,
नाखून के भीतर,
अंगुलियों के अंदर,
नाखून के भीतर,
 
  अब धोलो धोलो धोलो,
साफ पानी के साथ,
अब झटको झटको झटको झटको अपने हाथ, 
अब सुखा लो ,सुखा लो, सुखा लो हाथ,


अब ये गाना गाओ,
और हाथों को चमकाओ।
अब ये गाना गाओ,
और हाथों को चमका


     *-:विज्ञान अध्यापक :-*
          *किरन कुशवाहा*   
             *मास्टर ट्रेनर*
( विज्ञान रेमेडियल टीचिंग ट्रेनिंग)
 गौतम बुद्ध नगर,उत्तर प्रदेश


 


Shahar, Najibabad 



srimati Sarla chaudhary principal 



ghar baitha sainik ban jayega



ye waqt Gujar jayega



aao milkar karona ko sabak sikhate hai


 



 


Ghar ke Andar rah lo re bhaiya    


Bachi rahegi jindgani


By -Sarla chaudhary