वायरस (विषाणु)

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काव्य के माध्यम से"विज्ञान"
      "विषय:- सूक्ष्मजीव"
     :विज्ञान अध्यापक :-
          *किरन कुशवाहा*   
             मास्टर ट्रेनर
( विज्ञान रेमेडियल टीचिंग ट्रेनिंग)
 *गौतम बुद्ध नगर,उत्तर प्रदेश*
             
    3:- *वायरस (विषाणु)*


*संरचना*:-


मैं जीव बड़ा हूं सख्त सख्त,
मैं जीव बड़ा हूं सख्त।
मैं जीव बड़ा हूं सख्त सख्त,
मैं जीव बड़ा हूं सख्त।।


बैक्टीरिया से मैं छोटा हूं,
पर काम मैं घना खोटा हूं ,
सर्दी, खांसी $$$ ,
सर्दी खांसी, करूं नाक बंद,
और गले को कर दूं पस्त पस्त।


मैं जीव बड़ा हूं सख्त सख्त,
मैं जीव बड़ा हूं सख्त।
मैं जीव बड़ा हूं सख्त सख्त,
मैं जीव बड़ा हूं सख्त।।


*अनुकूलन*


मैं खसरा के रोगी मैं रहता,
चिकनपाक्स रोगी मैं रहता,
प्राणी के अंदर $$$,
प्राणी के अंदर रहता हूं,
मेरी लाइफ बड़ी है मस्त मस्त।



मैं जीव बड़ा हूं सख्त सख्त,
मैं जीव बड़ा हूं सख्त।
मैं जीव बड़ा हूं सख्त सख्त,
मैं जीव बड़ा हूं सख्त।।



          *....................*