फंगस- गीत नाटिका

*काव्य के माध्यम से"विज्ञान"*
      *"विषय:- सूक्ष्मजीव"*
     *-:विज्ञान अध्यापक :-*
          *किरन कुशवाहा*   
 *गौतम बुद्ध नगर,उत्तर प्रदेश*
                
         *1- कवक(फंगस)*


*लाभकारी*
*तर्ज*:- (ईस्ट या वेस्ट इंडिया इज द बेस्ट.......)


यीस्ट या ब्रेड फंगस इज द बेस्ट।
यीस्ट या ब्रेड फंगस इज द बेस्ट।।
  फंगस की इडली वाह वाह,
  फंगस का मशरूम वाह वाह,
एंटीबायोटिक वाह वाह,
जी पेनिसिलिन वाह वाह।
यीस्ट या ब्रेड फंगस इज द बेस्ट।
यीस्ट या ब्रेड फंगस इज द बेस्ट।।


*हानिकारक*
*तर्ज*:- (कभी मैं पागल लगता हूं, कभी दीवाना लगता हूं .......)


कभी मैं दाद बनाता हूं,
कभी मैं खाज बनाता हूं,
तुम सबकी त्वचाओं पर ,
खुजली करवाता हूं।


कभी मैं खाना सड़ाता हूं,
कभी मैं फल भी  सड़ाता हूं,
तुम सबके बालों में डेंड्रफ लाता हूं।


*पहचान एवम् अनुकूलन*
*तर्ज:-* (जीना यहां मरना यहां इसके सिवा जाना कहां....)


जीवों पर भी निर्जीवों पर भी,
दोनों जगह घर है मेरा।
जो छोटा पौधा हरे रंग का न हो,
समझो वही पौधा मेरा।
जीवों पर भी निर्जीवों पर भी,
दोनों जगह घर है मेरा।।
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