ऑनलाइन शिक्षण बहुत भा रहा हैै विधार्थियो को

दूनिया के पहले विज्ञान आधारित रियलिटि शो विज्ञान घर का निशुल्क पंजिकरण आनलाइन प्रारम्भ किया जा रहा है। देश में हालात सामान्य होते ही इसका आयोजन किया जायेगा। तब तक चयन प्रक्रिया और अन्य तैयारी पुरी कर ली जायेगी। विज्ञान घर का सदस्य बनने के लिए यहा पंजीकरण करे।


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सभी प्राणियों  एवम् जीवो में जीवन के प्रति अनुकूलन करने की छमता होती हैं करकेटा पेड़ के तने के रंग के अनुरूप अपने रंग को ढाल लेता हैं ताकि दुश्मन को दिखाई ना पड़े।आज कल मच्छर भी अपने रंग के अनुरूप वाली सतह पर ही जाकर छुपता हैै। कोरोना जैसे विषाणु अपने आप को बहुत तेजी के साथ बदल लेते हैं । तो वहीं जहां स्कूल कॉलेज में मोबाइल को बुरी नजर से देखा ही नहीं जाता था बल्कि  बैन था। वहीं मोबाइल अब सभी बालको के हाथ में दे दिया गया हैं और मा बाप ही नहीं बल्कि पूरा एजुकेशन सिस्टम इसका हिमायती हो गया।


मुझे याद है कि एक स्कूल के टीचर द्वारा व्हाट्स ग्रुप बनाकर पढ़ाने और होम वर्क दिये जाने पर पूरा हो हल्ला मचा था।


पहले स्कूल में बालक ने अपने मिड डे मील  के बर्तन धोने और साफ सफाई कर दी तो हो हल्ला मच जाता था लेकिन अब जब हमारे माननीय प्रधानमंत्री  मोदी जी ने साफ सफाई स्वछता अभियान चलाया तब से उन अध्यापकों की जान में जान अाई की अब बालको को नहीं सिखाएंगे तो कब सिखाएंगे।


कई स्कूलों से प्रबंधकों और प्रधानाचार्य ने अध्यपकों के इंटरनेट इसलिए बंद करवा दिए की वो शिक्षा के बजाय उसका दुरुपयोग होगा। लेकिन वहीं अब हरेक स्कूल अपने को इंटरनेट के साथ स्मार्ट क्लास चलाने के प्रबल दावेदार और समर्थक बन गए।


इससे दो बात तो समझ आती है कि एक तो इंसान और समाज अपने आप को बदलने की छमता रखता हैं जिसे अनुकूलता कहते हैं और दूसरा ये की जब मोदी जी जैसा वायक्तित्व प्रधानमंत्री पद पर हो तो समाज में फैली कुरीतियों और अंधविश्वास को  देश हित में झटके में समाप्त कर सकता हैं। मुझे लगता है कि देश में लोगो के अंदर जो गलत आदते हैं। उदहारण के तौर पर घर के कार्यक्रम के लिए किसी मार्ग को बंद कर देना और रेलवे फाटक या चौराहे पर लाइन तोड़ कर दुसरी ओर से आने वाले ट्रैफिक के रास्ते पर अपना वाहन लगा कर खुद का भी और दूसरे के भी समय की बरबादी करने जैसी बहुत सारी आदतों को सुधारना जरूरी हैं।


अब जब पूरी दुनिया इस महामारी से  लड़ रही हैं तो सरकार ने एक माहौल बनाकर घर में रहकर ही शिक्षण कार्य शुरू किया तो बालको को भी ये सीखने का नया तरीका बेहद पसंद आ रहा हैं। जब हमने अपने विज्ञान योद्धाओं से पूछा कि ऑनलाइन कोन कोन पढ़ रहा हैै तब काफी बालको ने अपने ऑनलाइन की पढ़ाई की तस्वीरे भेजी। एक बात और साफ हो गई कि भले ही क्लास में बालक का ध्यान पूरे विषय पर ना रहा हो लेकिन इस प्रणाली में प्रत्येक बालक स्वयं को जिम्मेदार विद्यार्थी महसूस कर रहा हैै। बस देखने वाली बात ये होगी की संसाधनों से धनी अध्यापक, एंड्रॉयड फोन और इंटरनेट की स्पीड कितने प्रतिशत बालको को नसीब हो रहा हैं।