आज एक लेख लिखने का मन कर रहा हैं सोचा कि लिख ही दु सबके लिए एक सवाल की हमें हर धर्म क्या शिक्षा देता हैं आप अपने आप से पूछोगे तो यही कि हमें अच्छा इंसान बनना चाहिए। कोई भी हो चाहें कोई भी धर्म और हर संविधान भी कुछ ऐसा ही कहता हैं तो क्या है हम अच्छे इंसान ?????
एक बार सभी अपने अपने मन से पूछ कर देखो।
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रामायण, वेद, पुराणों, उपनिषदों महाकाव्यों, कुरान, बाईबिल, ये सभी ग्रंथ हमे मिलजुलकर रहने का नियम बताती हैं तो फिर क्यों हमे समझ नही आता क्यो करते ऐसे कार्य जिससे किसी को दुःख पहुँचे ???
देखा तो नही पर इन सब ग्रथों से यही सुना हैं कि जब आदिकाल में मनुष्य था तब न तो उसे अधिक धन एकत्रित करने की इच्छा थी न कोई भी गलत कार्य किया जाता था जीवन यापन के लिए जितना आवश्यक था उतना ही अपने पास रखते थे प्रकृति की भी देखभाल बिल्कुल अपने परिवार के सदस्यों की तरह ही किया करते थे। जैसे जैसे समय आधुनिकता की तरफ आता गया वैसे ही इन धर्मों की परिभाषा ही बदलती सी नज़र आ रही हैं धर्म की आड़ लेकर न जाने कितने लोग कितना भी गलत कार्य कर रहे हैं ओर चारों तरफ चोरी, हत्याए, बलात्कर, छोटी- छोटी बातों पर लड़ाई दंगे,महिलाओं पर अत्याचार जैसे घटनाओं का प्रचलन अत्यधिक हो गया चलो ये तो रही मानव को मानव के द्वारा दी जाने वाली प्रताड़ना हद तो जब हो जाती हैं जब प्राकर्तिक वस्तुओं का अत्यधिक दोहन होने लगता ओर प्रकृति पर भी अत्याचार होने लगा। फिर क्या होना था जैसे हम जब सेना में भर्ती के लिए जाते हैं तो हमे आत्मरक्षा पहला कर्तव्य सिखाया जाता है तो प्रकृति ने भी अपनी आत्म रक्षा के लिए इंसान को सबक सिखाया की किस प्रकार रहना है तुम्हें (मानव) अब देखो प्रकृति की शिक्षा की सब घर मे ही रहो और अब जब मानव अपने अपने घर मे ही है तो न तो उसे अधिक धन एकत्रित करने के लिए झूठ बोलना पढ़ रहा हैं। न चोरी, न बलात्कर, न भयंकर दंगे,ओर न प्रकृति का दोहन न पर्यावरणीय प्रदूषण।
सभी अपने अपने परिवार के साथ अपने अपने घरों में है जिससे परिवार के सदस्यों के बीच आयी दूरियां भी कम हो गयी हैं और प्रेम भाव से जीवन यापन कर रहे हैं और प्रकृति के से इस महामारी (कोरोना) से बचने के लिए प्रार्थना कर रहे है और अब मानव में दया भी आ गई सब लोग एक दूसरे से दूरी बना कर भी एक दूसरे की मदद भी कर रहे हैं चाहे वो शिक्षा के माध्य्म से हो या वो स्वास्थ्य परामर्श के माध्य्म से हो चाहे धन , अन्न से हो इस समय पूरी पृथ्वी पर सब मिलकर अपने अपने आत्मविश्वास को बढ़ा रहे हैं क्योंकि मनुष्य आत्मविश्वास और रोग प्रतिरोधक छमता से हर बीमारी से लड़ सकता है।
आप सभी से मेरा नर्म निवेदन है की अब तो आप समझ ही गए होंगे कि प्रकृति हमसे क्या कहती हैं अब देखो जरा अपनी घर की छत पर जाकर आसमान कितना साफ है तो आज सभी संकल्प लो अपने अपने मन मे ठान लो की अब से कोई गलत कार्य नही करेंगे शायद अब से शुरू हो जाएगा एक नया युग जहाँ कोई गलत कार्य नही होगा। ओर शान्त हो जायेगा इस कोरोनॉसुर का तांडव।
धन्यवाद।