मानव विनाश का कारण कोरोना नही

मानव विनाश का कारण कोरोना नही।
तो ये कौन लोग है? देश की सरकारें,WHO, या फिर आधुनिक चिकित्सा विज्ञान के वैज्ञानिक और डॉक्टर जो समृद्धि,सत्ता और सम्पत्ति पर वर्चस्व प्राप्ति के लिए प्रकृति व समस्त मानवों के स्वास्थ्य रूपी अमूल्य धन का शोषण कर रहे है।
सभी लोग सतर्क हो जाओ कोरोना की इस महामारी(जनपदोध्वंस)के दर्दनाक हालात में भी विश्व के सभी देश के आम नागरिकों के साथ कोरोना महामारी के इलाज के नाम पर जानवरों से भी बदतर बहुत सारे घातक केमिकल ड्र्ग्स के ट्रायल के किये जा रहे है और एक एक करके वो सभी असफल होते जा रहे,पर सेवा भाव कम और लोभ व स्वार्थ से पूरित ये लोग अभी भी धन के लोभ में और भी भयंकर दुष्प्रभाव वाले दवावों के प्रैक्टिकल करते जा रहे है।
यही लोग जो ये नियम बनाते है कि किसी भी केमिकल ड्र्ग्स का टेस्ट मानव पर नही होना चाहिए और वही धूर्त लोग इस नियम की धज्जियां उड़ाते हुए बीमारियों के इलाज की आड़ में स्वार्थ पूर्ति के लिए मानव का पतन करते जा रहे है।
इसका प्रमाण देता हूँ और जो भी प्रमाण दूंगा वो आपके शास्त्र गुग्गुल से या मेरे वैदिक धर्म शास्त्र के आधार पर होगा। सभी प्रमाण की शार्ट स्क्रीन भी है।
 पहला प्रमाण जब कोरोना को एक महामारी के रूप में घोषित कर दिया गया तब WHO ने इसके इलाज की एलोपैथी केमिकल ड्र्ग्स की गाइड लाइन जारी की लेकिन कुछ दिन में ही ये सुपर फ्लॉप हो गयी।
दूसरा प्रमाण राजस्थान के डॉक्टरों ने इसके इलाज की एड्स और मलेरिया की एलोपैथिक केमिकल दवाओं के मिश्रण की एक गाइड लाइन बनाई और मीडिया द्वारा ये दावा किया कि ये कोरोना के इलाज के लिए 100% कारगर है पर वो भी असफल रही।
तीसरा अभी बिल्कुल नया azythromycine और chloroquine के मिश्रण वाली गाइड लाइन जिसे पहले अमेरिका सहित कई देशों में और अब भारत मे भी इसका दावा किया जा रहा है कि ये कोरोना के इलाज के लिए अचूक ड्रग है,लेकिन इस गाइड लाइन के भी असफल होने का सच आने वाला है पर तब तक न जाने कितनों की जाने जाएगी।
क्योकि WHO ने पहले ही बोल दिया कि ezythomycine किसी भी वायरस पर काम नही करती और chloroquine मलेरिया तथा गठिया वाले बुझार कि दवाई है।
स्वीडन के Sahlgrenska swedidh university hospital ने तो  chloroquine के जानलेवा साइड इफ़ेक्ट के कारण इसका ट्रायल दो सप्ताह पहले ही ही रोक दिया तो फिर अभी भी ये खिलवाड़ क्यों?
 फ्रांस में इन दोनों दवावों से कोरोना के मरीजों में सिर्फ कोरोना के वायरल लोड कुछ कम हुए लेकिन मृत्यु कम नही हुई।चीन में भी इन दवाओं के कोरोना के मरोजों पर टेस्ट हुए पर कोई सफलता नही मिली, चीन ने  हर्बल औषधि से कोरोना को कंट्रोल तो कर लिया साथ ही दुनिया को एलोपैथी और वेंटिलेटर का झांसा देकर अपनी आर्थिक स्थिति मज़बूत कर ली।
 इसके अच्छे रिजल्ट्स तो आ नही रहे उल्टा इन दवाओं से लोगों के हार्ट,लिवर,आंतों और अन्य बहुत तरह के प्राण घातक साइड इफेक्ट्स मिलते है,शरीर की इम्युनिटी भी कम हो जाती है,कोरोना से तो बाद में इन दवाओं के दुष्प्रभाव से रोगी पहले ही मर जाता है और नाम आता है कि कोरोना से मर गया।
आज अमेरिका के राष्ट्रपति ने chloroquine पर ट्रायल करने के लिए कमर कस ली है साथ मे असमंजस की स्थिति में भी पड़ गए है के वो chloroquine पर ट्रायल करे या नही एक बार आनन फानन में उन्होंने तथा और कई देशों ने भारत से बड़ी मात्रा में इन दोनों दोनों दवाओं की मांग की पर अब इनकी भी नैया पार होगी कुछ कहा नही जा सकता।
इनका अगला अंतिम विकल्प वैक्सीन होगा पर वो भी असफल होगा क्योंकि वायरस तो जीवित और मृत दोनो है,कभी भी अपनी रचना को बदल सकता है फिर वो वैक्सीन फेल,इस घटना की पुष्टि वैज्ञानिक भी कर चुके है और अगर सफल ही होता तो आज एड्स और हेपेटाइटिस असाध्य रोग नही होते।
और ये इलाज भी बहुत मंहगा होगा जिसके प्रयोग से केवल फार्मा कम्पनी और कमीशन खाने वाले चिकित्सक के आर्थिक लाभ के लिए होगा न कि बीमारी ठीक करने के लिए।
निष्कर्ष यही निकला के अभी तक कोई भी गाइड लाइन का ट्रायल कारगर नही हुई।
 सच तो ये है कि मात्र इन केमिकल दवाइयों और वेंटिलेटर में इसका हल नही है,ये ड्र्ग्स और वेंटिलेटर तो केवल आपातकालीन में मृत्यु दर कम करने में थोड़ी सहायता कर सकती है बस इससे ज्यादा कुछ नही अगर है तो केवल अपना आर्थिक व राजनैतिक वर्चस्व बनाये रखने का छलावा है जिसका चीन को जबरदस्त लाभ मिला है।
सचेत रहना कुछ फार्मा कम्पनियाँ इम्युनिटी बूस्टर के नाम से भी केमिकल ड्र्ग्स निकलेंगी वो भी पैसे कमाने के लिए एक चल होगी।
इसके साथ एक बात और जोड़ता हूँ जब से कोरोना की महामारी फैली है न कोई बिना हार्ट में स्टंट डालने से मरा है,बिना ऑपरेशन के बच्चे की नॉर्मल डिलीवरी हो रही है,बिना घुटने बदलवाए ही लोग चल फिर रहे है इत्यादि।
घर पर रहकर खान पान का ध्यान रखते हुए,घर का आयुर्वेद अपनाकर, योग प्राणायाम करने से लोगों के बीपी सुगर थायरॉइड कम होने लगे है।
जिस सर्दी खांसी जुकाम बुखार की गोलियाँ खानी पड़ती थी अब काढ़ा पीने से ठीक हो रही है।
मतलब हॉस्पिटल जाना बंद तो बीमारी और इन बीमारियों से मृत्यु दर भी कम अर्थात ये लोग रोग के समाधनकर्ता कम और बीमारी के जन्मदाता अधिक है।
अब यक्ष प्रश्न ये है कि क्या इस महामारी का कोई कारगर इलाज है या नही है??
उत्तर हाँ,इस महामारी के सफल इलाज का सूत्र हमारे वैदिक धर्म संस्कृति और आयुर्वेद में है।
एड्स,हेपेटाइटिस से लेकर कोरोना तक सभी प्रकार के वायरस से सम्बंधित महामारी का इलाज केवल इस वायरस से बचाव ही है जो केवल अपने शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता यानी इम्यून सिस्टम को बज़बूत करके और आइसोलेशन से ही किया जा सकता है। यदि हमारे शरीर की इम्युनिटी मज़बूत रहती है तो इस तरह के वायरस हवा में हमारे आस पास रहते हुए भी संक्रमण नही कर सकते और दूसरा संक्रमित रोगी से दूर यानी सोसल डिस्टेंसिंग बना के रखने से बहूत कम संख्या में ये वायरस शरीर मे प्रवेश करेंगे और इन्हें हमारी शरीर के इम्युनिटी कोशिकाएँ इनको शरीर के अंदर ही निष्क्रिय करकर इन्हें समूल बाहर फेंक देती है।इन दोनों सफल चिकित्सा सूत्र को आज सारी दुनिया और एलोपैथी चिकित्सा विज्ञान भी स्वीकार करता है।
पर दुःख की बात है ये सब जानते हुए भी क्यों प्रकृति और मानव से खिलवाड़ कर रहे है?
अब आपको खुद ही ध्यान से इन बातों पर विचार करना है और अपने स्वास्थ्य का ध्यान खुद ही रखना है क्योकि आज रक्षक ही भक्षक बन गए है।हाँ थोड़ा इशारा ज़ररू दे देता हूँ, रोग प्रतिरोधक क्षमता इम्युनिटी बढ़ाने वाली कुछ आयुर्वेद औषधियाँ जैसे च्यवनप्राश, गिलोय, तुलसी,त्रिकटु के अलावा बहुत सी जड़ी बूटियां है जो ऐसी महामारी में बहुत ही कारगर है और इनका कोई जानलेवा साइड इफेक्ट्स भी नही। ये सच्चाई है आज देश की एक अरब से ज्यादा की जनसंख्या इस लोक डाउन में अपने घर मे रहते हुए सिर्फ आयुर्वेद की औषधयों का सेवन करके परहेज करके योग व प्राणायाम करके अपनी इम्युनिटी बज़बूत करके कोरोना से बचे हुए है और टेस्ट में संक्रमित पाए हुए रोगी वो भी अपनी इम्युनिटी की वजह से ठीक भी हो चुके है और न जाने कितनों को इसका इंफेक्शन हुआ और वो अपनी इम्युनिटी की वजह कुछ ही दिनों में  ठीक भी हो गए जैसे एक साधारण सर्दी जुकाम बुखार वाला रोगी कुछ दिनों में ही ठीक हो जाता है वरना तो आज ये वायरस तो हवा में हर जगह पर मौज़ूद है। ये बात भी साइंस मानता है।
पर आयुर्वेद के महान ब्रह्म ज्ञानी आचार्य चरक कहते है कि ये सभी औषधियाँ किसी अच्छे सत्यनिष्ठ और सेवा भावना वाले आयुर्वेदज्ञ की सलाह व देख रेख में ही लेना चाहिए क्योकि आज बाजार में इतना च्यवनप्राश आ रहा है जितना आंवले की पैदावार ही नही होती। गिलोय सत में चाक का पाउडर मिलाकर बेच देते है।
मेरी विनती है वैज्ञानिकों से,सरकार और आयुष से अपनी जिन कमियों की वजह से आयुर्वेद को इस कोरोना महामारी के इलाज में नज़रंदाज़ किया गया उन कमियों को सुधार कर इसे मुख्य धारा में शामिल किया जाए।
विनती है सभी आयुर्वेज्ञों से के अब समय है वो आयुर्वेद के आदर्श और शिद्धान्त को अपने जीवन मे चरितार्थ करके मानव सेवार्थ में जुट जाएं अपने आप को सिद्ध करके अपनी उन्नति करें अन्यथा जीवन भर सरकार को दोष देते रहेंगे।
विनती है आम जनता से इन केमिकल ड्र्ग्स के छलावे और मीडिया की अफवाह से बचे अपने विवेक का दरवाजा खोलें अपना भला खुद सोचें।
इतना तो पक्का है कि इसका सफल इलाज वैदिक धर्म व संस्कृति और आयुर्वेद में ही है पर इसका पालन कराने और करने वाला दोनों ही ईमानदारी से इनका पालन करे।
यदि धर्म के नाम पर आडम्बर,अंधविश्वास। विकाश व संमृद्धि के नाम पर प्रकृति का दोहन और धन कमाने के उद्देश्य से आयुर्वेद को बेचा गया तो विनाश ही होगा।
इसलिए हे समस्त मानव अपने स्वार्थ और दम्भ को छोड़ गुरुनानक देव जी, महात्मा बुद्धजी, संक्राचार्य जी,विवेकानंद जी,बाल्मीकि जी के पुरातन सनातन उस ब्रह्म ज्ञान के द्वारा धर्म से जुड़कर संस्कृति व प्रकृति की रक्षा करते हुए आयुर्वेद का पालन करे और कोरोना जैसी हर महामारी को भगाएं और सर्वे भवन्तु सुखिनः सर्वे सन्तु निरामयः उद्देश्य की प्राप्ति करे।
यदि मुझे चिकित्सा सेवा के लायक समझें तो रोगी अपने इलाज और चिकित्सक ज्ञान और अनुभव को साँझा करने के लिए मेरे इस फोन नम्बर पर कभी भी सम्पर्क कर सकते है।
हमेशा आपकी सेवा में।।।
वैद्य जय प्रकाश