काव्य के माध्यम से विज्ञान
(पदार्थ)
जब कोई स्थान है घेरे,
फिर वह थोड़ा भार भी लेले।
पता है बच्चों क्या तुमको ये,
विज्ञान उसको "पदार्थ" है बोले।।
जब पदार्थ के अणुओं को,
नहीं मिलता हिलने - डुलने को।
आकर्षण - बल से बंधे हैं रहते,
सदा एक से दिखते रहते।।
जैसे ईंट और पत्थर आदि उदाहरण हैं इसके।
वैसे निश्चित आकर और आयतन
हमेशा होते "ठोस" के।।
*जब पदार्थ के अणुओं को,
थोड़ा विस्तार से मिलता रहने को
आकर्षण बल कम होने से,
ये दिखते वैसे चाहें हम जैसे।।
जैसे पानी जैसे दूध इत्यादि उदाहरण हैं इसके,
अनिश्चित आकार और निश्चित आयतन होते हमेशा हैं "द्रव" के।।
*जब पदार्थ के अणुओं को,
खुलकर मिलता उड़ने को।
आकर्षण बल का नाम नहीं जब,
कहां गए अणु पता नहीं अब।।
न कोई आकार है निश्चित,
न निश्चित आयतन हैं इसके।
चाहे हवा हो चाहे धुआं हो,
सब हैं उदाहरण "गैस" के।।
*जब भी बात "पदार्थ" की होती,
विज्ञान की सभी व्यवस्था कहती।
ठोस, द्रव, और गैस उसकी,
भौतिक तीन अवस्था होती।।
किरन कुशवाह
( मास्टर ट्रेनर)
"साइंस रेमेडियल टीचिंग ट्रेनिंग"
गौतम बुद्ध नगर(उत्तर प्रदेश)
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