वायु प्रदुषण घटा तो प्रकाश प्रदुषण बढ़ा
तारो की गणना के प्रयोग ने बता दिया प्रकाश प्रदुषण का हाल
दस साल में दुगना हुआ प्रकाश प्रदुषण
हालाकि लोकडाउन में प्रकाश और वायु प्रदुषण हुआ कम और बढ़ी विजिबिल्टी
हम बहुत खुश हो रहे है कि लोकडाउन के चलते अब हवा शुद्व हो गई हैं और विजिबिल्टी जो 3से 5 किमी थी बढ़कर अब 10 किमी हो गई हैं इसका एक उदाहरण भी मिलता हैं छः माह पूर्व प्रगति विज्ञान संस्था के जाग्रति विहार स्थित कार्यालय की छत से पहले मात्र 2से 3 किमी तक का ही दिखता था और आसपास की मात्र 4 पानी की टंकिया 4 ही माबाईल टावर दिखते थे लेकिन आज 5 अप्रेल को 11 टंकिया और 14 टावर दिखायी दिये ।
इद आंकड़ो के आधार पर हम कह सकते है कि लोकडाउन का फायदा यहहीं प्रकाश प्रदुषण के मामले में हम खुश नही हो सकते दस साल पहले सितम्बर 2009 में प्रगति विज्ञान संस्था ने अर्न्तराष्ट्रीय स्तर पर चलाये जा रहे डार्क स्काई कार्यक्रम के तहत मेरठ जनपद के 15 स्थानो पर तारो की गणना की जो हमें प्रकाश प्रदुषण का स्तर भी बताता हैं जिसमें सबसे अधिक .5 और सबसे कम 2.4 आया था जिसका औसत निकालने पर 1.4 ही आया था हम तब भी इन आकडो को बहुत अच्छा नही मान रहे थे ।
लेकिन दस साल बाद 28 मार्च को जब लाकडाउन के चलते घर में रह कर ही तारो की गणना का प्रयोग किया गया तो प्रकाश प्रदुषण का स्तर बढ़कर .7 हो गया यानी कि दस साल पहले की तुलना में तारे आधे ही दिखायी दे रहे थे।
आज संस्था की टीम ने दो बार तारो की गणना करने का कार्यक्रम रख एक लाइट के साथ और दुसरा जब देश भर में लाइट बंद हो गई ।
आज एक सप्ताह बाद राज 8 बजे जब लाइट जल रही थी तो प्रकाश का स्तर 1.1 हो गया जो .7 की तुलना में सुधार आया है। ओर लाइट बुझ जाने पर प्रकाश का स्तर 1.9 हो गया
इस प्रयोग को मेरठ के अलावा कई जिलो में किया गया
तारो की गणना के प्रयोग ने बता दिया प्रकाश प्रदुषण का हाल
दस साल में दुगना हुआ प्रकाश प्रदुषण
हालाकि लोकडाउन में प्रकाश और वायु प्रदुषण हुआ कम और बढ़ी विजिबिल्टी
हम बहुत खुश हो रहे है कि लोकडाउन के चलते अब हवा शुद्व हो गई हैं और विजिबिल्टी जो 3से 5 किमी थी बढ़कर अब 10 किमी हो गई हैं इसका एक उदाहरण भी मिलता हैं छः माह पूर्व प्रगति विज्ञान संस्था के जाग्रति विहार स्थित कार्यालय की छत से पहले मात्र 2से 3 किमी तक का ही दिखता था और आसपास की मात्र 4 पानी की टंकिया 4 ही माबाईल टावर दिखते थे लेकिन आज 5 अप्रेल को 11 टंकिया और 14 टावर दिखायी दिये ।
इद आंकड़ो के आधार पर हम कह सकते है कि लोकडाउन का फायदा यहहीं प्रकाश प्रदुषण के मामले में हम खुश नही हो सकते दस साल पहले सितम्बर 2009 में प्रगति विज्ञान संस्था ने अर्न्तराष्ट्रीय स्तर पर चलाये जा रहे डार्क स्काई कार्यक्रम के तहत मेरठ जनपद के 15 स्थानो पर तारो की गणना की जो हमें प्रकाश प्रदुषण का स्तर भी बताता हैं जिसमें सबसे अधिक .5 और सबसे कम 2.4 आया था जिसका औसत निकालने पर 1.4 ही आया था हम तब भी इन आकडो को बहुत अच्छा नही मान रहे थे ।
लेकिन दस साल बाद 28 मार्च को जब लाकडाउन के चलते घर में रह कर ही तारो की गणना का प्रयोग किया गया तो प्रकाश प्रदुषण का स्तर बढ़कर .7 हो गया यानी कि दस साल पहले की तुलना में तारे आधे ही दिखायी दे रहे थे।
आज संस्था की टीम ने दो बार तारो की गणना करने का कार्यक्रम रख एक लाइट के साथ और दुसरा जब देश भर में लाइट बंद हो गई ।
आज एक सप्ताह बाद राज 8 बजे जब लाइट जल रही थी तो प्रकाश का स्तर 1.1 हो गया जो .7 की तुलना में सुधार आया है। ओर लाइट बुझ जाने पर प्रकाश का स्तर 1.9 हो गया
इस प्रयोग को मेरठ के अलावा कई जिलो में किया गया