बैक्टीरिया (जीवाणु) - गीत नाटिका

*काव्य के माध्यम से"विज्ञान"*
      *"विषय:- सूक्ष्मजीव"*
     *-:विज्ञान अध्यापक :-*
          *किरन कुशवाहा*   
             *मास्टर ट्रेनर*
( विज्ञान रेमेडियल टीचिंग ट्रेनिंग)
 *गौतम बुद्ध नगर,उत्तर प्रदेश*
             
    2:- *बैक्टीरिया (जीवाणु)*


*तर्ज*: (कभी मैं पागल लगता हूं, कभी दीवाना लगता हूं....)


*कार्य*:-


कभी मैं मिट्टी बनाता हूं,
कभी मैं दही बनाता हूं,
कभी मैं खाना पचाता हूं,
कभी मैं खाना सड़ाता हूं।


*बीमारियां*


कभी मैं टी बी करता हूं,
कभी टायफायड करता हूं,
कभी कोलेरा करता हूं,
कभी मैं प्लेग करता हूं।


*निर्माण एवम् अनुकूलन*


कभी मैं जीवों पर रहता,
कभी निर्जीवों पर रहता,
कभी मृतकों पर भी रहता,
राज रोगी पर मैं करता।


कभी मैं अंडे नहीं देता,
कभी मैं बच्चे नहीं देता,
बना हूं एक कोशिका से,
हमेशा दुगना ही बढ़ता।