साहिबाबाद में गिरे शनि के उपग्रह जैसे उल्का पिंड

 अचानक तेज बारिश में आसमान से आग गिरे बहुत तेज रोशनी के साथ और ठंडी ना हो तो ये बात तो समझ आती हैं कि ये आग कोई साधारण नहीं हैं । फिर सुबह तक भी ठंडी नहीं होती और बच्चे अवशेष का आकर स्पंज की तरह से शनि के एक उपग्रह हिपेरायन जैसा दिखता है।


उपलब्ध चित्रों से एक नजर मै ऐसा ही लगता हैं। आइए समझे अभी तक साहिबाबाद में वैज्ञानिक दृष्टिकोण के साथ क्या हुआ है।


एक टुकड़ा जो प्रथ्वी के गुरूत्वकर्षण के कारण अंदर आ जाता हैं जिसकी गति 20 से 50 हजार किलमीटर प्रति घंटा हैं और वह ऊपर वातावरण में जल कर खाक हो जाता जैसा की अमूमन अधिकतर उल्का पिंडों के साथ होता है। लेकिन यहां पर वायुमंडल दाब में गिरावट आ के कारण जमीन पर आ गिरे। और क्योंकि घर्षण के कारण आग के गोले बन चुके थे। और वो आज सोडियम सिलिकेट होने के कारण प्रथ्वी पर बारिश के पानी के संपर्क में आने के एक तो आग लगातार जले जा रही थी साथ ही एक जहरीली गैस आर्सेनिक  भी उत्पन्न हो रही थी ये गैस सीधे फेफड़ों को प्रभावित करती हैं साथ ही जी मिचलाना और सर दर्द होने लगता।


तीन टुकड़ों के अलग अलग गिरने से कहीं ऐसा तो नहीं कि एक बड़ा उल्का पिंड धरती पर गिरने जा रहा हो! जिसकी संभावना " नियर अर्थ ऑब्जेक्ट" पर  लंबे अरसे से काम कर रहे  ब्रिटेन के वैज्ञानिकों ने जताई थी उनके अनुसार अगर ऐसा होता हैं तो भारत को सबसे जायदा नुकसान पहुंचेगा।