बालको ने सीखा कि
पत्तियां देती पीने का पानी
आरो से बेहतर हैं गुणवत्ता
कई दिनों से पेड़ पौधों को निहार रहे घरों के सदस्य अपने अपने तरीके से उसे समझ रहे थे कोई पत्तियों की गतिशीलता को देख रहा था तो कोई पेड़ के नीचे के तापमान को माप रहा था वहीं जागृति विहार में अर्पित और अनुप्रिया ये समझ रहे थे कि कैसे पत्तियां पीने का उच्च कोटि का पानी दे सकती हैं।
इस प्रयोग के लिए दीपक शर्मा ने गमलों के पौधों का चयन किया और सुबह लगभग 9 बजे उनकी पत्तियों को अलग अलग पन्नियो में करके उनके मुंह को बांध दिया । दोपहर बाद जब देखा गया तो उनमें औस की बूंदों की तरह पानी साफ दिखाई दे रहा था। जिसे बाद में एक बिकर में कर लिया गया ये पीने मै भी टेस्टी था
वनस्पति के ज्ञाता डॉ ए के शुक्ला ने बताया कि ये पानी आरो से जायदा बेहतर होता हैं तो वहीं वस्पोत्सर्जन की प्रक्रिया को समझने का एक मजेदार प्रयोग हैै जिसके लिए घर से बेहतर प्रयोगशाला और कोई नहीं हो सकती। इससे युवाओं को प्रकृति के करीब जाने और उसका दोस्त बनने का अवसर मिलता हैं।
शुक्ला ने फोन पर बताया कि पत्तियों से पानी जरूर निकलता हैं और कम मात्रा में होता हैं परन्तु इसका मतलब ये कदापि नहीं की उसकी पत्तियों को सीधे चबा लिया जाय। क्योंकि ऐसा करने से पानी के साथ साथ उसमे विषेले पदार्थ भी अा जाएंगे जो चबाने वाले को नुकसान पहुंचाएंगे।
बालको ने पेड़ के नीचे और अलग के तापमान में भी 3 से 5 डिग्री का अंतर पाया।
डॉ शुक्ला ने बताया कि बरगद, पीपल, नीम जामुन के पेड़ ज्ञान को बढ़ाने वाले होते हैं। उदहारण देते हुए उन्होंने महात्मा बुद्घ का जिक्र किया की बरगद के पेड़ के नीचे ही उन्हें ज्ञान की प्राप्ति हुई। क्योंकि इन पेड़ों के नीचे दिमाग को चिंतन करने के लिए उपयुक्त वातावरण मिलता हैं।
अमेरिका में तो इन पेड़ों को लगाकर आक्सीजन फार्म के रूप में पार्क विकसित किए गए हैं।
आज का प्रयोग जागृति विहार,माधवपुरम, विजयनगर और जैलचुंगी के पास किया गया। सभी ने अपने घरों में रहकर ही ये किया।