मेरे जीवन में "चाची का महत्त्व"


मेरे जीवन में "चाची का महत्त्व"
 मेरा बचपन और स्कूली शिक्षा गाँव में हुई ।मेरे पिताजी कृषक थे । वे 7 भाई थे स्वयं तीसरे नम्बर पर थे इसलिए परिवार के तथा गाँव के अधिकांश बच्चे मेरी माता जी को चाची तथा पिताजी को दद्दू कहकर बुलाते थे और इस प्रकार मेरे भी सभी भाई बहन माता जी को चाची कहकर ही बुलाने लगे।मेरी माता जी आज से 40से50 वर्ष पहले भी किसी के कान में दर्द होने पर समुद्रफेन और नींबू के रस से कान की सफाई कर देती थी और कान दर्द ठीक हो जाता था।इस प्रकार हाइड्रोजन गैस बनने की बात बताकर उन्होंने पहली बार मुझे कुछ आश्चर्यजनक बात बताई थी।और इस प्रकार के कई वैज्ञानिक अनुभवों की ही देन है कि मैं अपने गाँव में पहला एम एस सी (रसायनशास्त्र )हूँ और 26 वर्षो के विज्ञान शिक्षण के अच्छे अनुभव के साथ विज्ञान काव्य लेखक, कवि एवं विज्ञान शिक्षक प्रशिक्षक (SCERT दिल्ली)में कार्यरत हूँ।निः सन्देह चाची जी का ही आशीर्वाद है।मैंने चाची जी की प्रेरणा से ही अपने गाँव में DC(दद्दू चाची) साइंस क्लब की स्थापना की। है।