कोरोना का भय व्याप्त है ऐसे

 कोरोना का भय व्याप्त है ऐसे


रेल मे सब बैठे हों ऐसे... काम और कुछ नही हो जैसे... 
अँधेरी सुरंग मे चलते चलते... इंजन बंद  हो गया हो जैसे... 
गंतव्य पर जाना था लेकिन... रेल हाईजैक हो जैसे...
खाना  मिलेगा थोड़ा थोड़ा... मोबाइल प्रयोग करो चाहे जैसे... 
ना कोई पिस्तौल... ना कोई बदमाश...परन्तु अदृश्य  किडनैपर हो जैसे... 
अँधेरी सुरंग मे चलते चलते... इंजन बंद  हो गया हो जैसे... 
अंतहीन रास्ता हो जैसे... मंजिल का पता नही हो जैसे... 
अब कोई होश कमाने का नही... फ़िक्र का सागर गहरा हो जैसे... 
अँधेरी सुरंग मे चलते चलते... इंजन बंद  हो गया हो जैसे... 
अदृश्य दुश्मन से इस युद्ध मे... चक्रव्यूह मे फसें हो जैसे...
अभिमन्यु अब  बने हैं सारे.... पांडव खो गए हो जैसे...
मजदूरों पर पैसे नही हैं... अन्न उनके लिए भगवान हो जैसे.... 
अँधेरी सुरंग मे चलते चलते... इंजन बंद  हो गया हो जैसे... 
भगवान को तो नही देखा मैंने... डॉक्टर /नर्स भगवान हो जैसे...
द्रौपदी के इस चीर हरण मे... कृष्ण कहीं गायब हो जैसे... 
अँधेरी सुरंग मे चलते चलते... इंजन बंद  हो गया हो जैसे...
कोरोना का भय व्याप्त है ऐसे...