चीन के सीओवीआईडी-19 का दंश पूरी दुनिया झेल रही है। चीन के अतिरिक्त 60 देशों मे इसके रोगी हो गए हैं। कारण / कारणों के अनुमान ही लगाए जा रहे हैं। लेकिन 28 फरवरी को पूरे हुए विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के हाल के दौरे से जो कुछ महत्त्वपूर्ण बातें निकाल कर आई हैं वे हमारे देश के और दूसरे प्रजातांत्रिक देशों के संबंध मे भी महत्त्वपूर्ण हैं। इस दौरे के आरंभ होते समय प्रति दिन लगभग 2500 बीमारों के बढ्ने की जानकारी थी जो दौरे की समाप्ति तक 400 के लगभग और कल और घट कर 200 के लगभग हो गई। इस नियंत्रण के पीछे चीन की सरकार की दबंग और दमन वाली कार्यशैली भी थी। सभी सामूहिक कार्यक्रम रद्द कर दिए गए, लोगों के घर से बाहर निकालने को निरुत्साहित किया गया- बिना मास्क के तो बिलकुल नहीं, उनकी गतिविधि तथा स्थिति पर उनके मोबाईल मे लगे खर्चे वाले ऐप से निगरानी की गई इत्यादि। अकेले वुहान मे 10,000 के लगभग लोग केवल रोगियों का पता लगाने मे झोंक दिए गए थे। एक सप्ताह मे 2 अस्पताल बना डाले, हम तो सड़क के गड्ढे भरने मे साल लगा देते हैं। यह कुशलता हमारी संस्कृति से विलुप्त हो गई है। उच्चतम न्यायालय के हस्तक्षेप के आदेश भी उपेक्षित हो जाते हैं। चीन मे इस नियंत्रण की प्रक्रिया मे मानव अधिकारों या व्यक्तिगत स्वतन्त्रता के हनन की शिकायतें की जा सकती हैं लेकिन इससे लक्ष्य प्राप्त हुआ, यह सच है। क्या दूसरे देशों मे यह संभव होता, यह प्रश्न प्रतिष्ठित विज्ञान शोध पत्रिका साईन्स ने उठाया है। हमारे देश मे तो अखबारी घोषणाओं तथा दावों के विपरीत विदेशों से लौटे बहुत से लोग बिना जांच के देश मे प्रवेश करते रहे। अवसर का लाभ कुछ भारत मे उपस्थिति वाली दवाई कंपनी, मास्क आदि के निर्माताू, स्वयंभू चिकित्सक और शंकास्पद प्रभाविकता वाली पारंपरिक चिकित्सा पद्धति/ पदार्थों का नाम लेकर सक्रिय लोग भी उठा रहे हैं। यह डर भी है कि जन जीवन सामान्य हो जाने के बाद फिर से यह चुनौती खड़ी हो जाएगी कि इसके फैलने को कैसे रोकें?
चीन के सीओवीआईडी-19-इसके फैलने को कैसे रोकें?