बांदा में कालिंजर महोत्सव

अजेय दुर्ग कालिंजर में कालिंजर महोत्सव
कालिंजर  किला उत्तर प्रदेश के बाँदा जिले में एक अद्भुत अनुपम कला कृति के प्रतीक में  विराजमान हैं  इस किले का निर्माण चन्देलों के शासन काल मे 7 वी शताब्दी से लेकर 10 शताब्दी के बीच किया गया।  इस दुर्ग की गणना चन्देलों के 8  प्रमुख दुर्गों में की जाती हैं। उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश की सीमा पर स्थित  यह दुर्ग एक सजग  प्रहरी  के रूप में चिरकाल से अपनी  महत्वपूर्ण भूमिका निभाता आ रहा हैं। यह किला विंध्याचल की पहाड़ी पर स्तिथ हैं । दूर से  देखने पर ये पहाड़ी दिखाई देती हैं। समुंद्र तल से 375 मीटर  ऊचाई पर 90 डिग्री पर खड़ी इसकी दीवारे  आज भी कारीगरों की प्रतिभा को याद करती हैं। दुर्गीकरण से पूर्व ये स्थान आध्यात्मिक केंद्र माना जाता था जिसका वर्णन महाकाव्य, वेदों, बौद्ध , व जैन व अनेक साहित्य कृतियों, आख्यानों व लोक कथाओं  में मिलता हैं। इस दुर्ग में एक शिव का मंदिर है जो नीलकण्ड  मंदिर के नाम से जाना जाता हैं  इस मंदिर का निर्माण नागवंशियों ने कराया था। इस मंदिर के पीछे की किदवंती हैं कि महादेव ने जब  समुंद्रमंथन से निकले विष को ग्रहन किया था  तब  महादेव का कण्ठ नीला पड़ गया था तब महादेव ने इस पहाड़ी  पर विश्राम कर वहाँ की औषधि से  काल पर विजय प्राप्त की थी। इस मंदिर और किले में  अनेक गुफाएं ओर मूर्तियां  पर्वत को काट कर बनाई गई हैं। मंदिर का मंडप चंदेलकालीन वास्तुशिल्प  कला का  अद्वतीय  उदहारण हैं। इस किले की भव्यता की वजह से कई मुस्लिम शासकों ने इस पर आक्रमण कर विजय प्राप्त करने की कोशिश की पर सफल ना हो सके इसीलिए इस किले को अजेय दुर्ग के नाम से जाना जाता हैं। इस समय इस किले को ऐतिहासिक धरोहर के रूप में स्वीकार कर पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग को सौप  दिया गया हैं। इस ऐतिहासिक धरोहर को स्मरण स्वरूप प्रत्येक वर्ष कालिंजर महोत्सव के रूप में मनाया जाता हैं यह महोत्सव 5 दिन लगातार चलता हैं। इस वर्ष यह महोत्सव 20 फरवरी से 24 फरवरी 2020 में उत्तर प्रदेश के बाँदा जनपद किया गया।


 इस महोत्सव का आकर्षण का केंद्र बनाने के लिए इसमें विभिन्न गैलरी जैसे आध्यात्मिक गैलरी, कलाकृति गैलरी, साहित्य, स्वस्थ्य विभाग, पुरातत्त्व विभाग,  पशु व कृषि से सम्बंधित गैलरी के साथ-साथ भारत सरकार और राज्य सरकार की योजनों ओर विभाग से संबंधित प्रदर्शनी लगाई हुई हैं।


और प्रत्येक दिन मुख्य मंच पर सांस्कृतिक भव्य कार्यक्रम का आयोजन भी किया गया। तथा वैज्ञानिक दृष्टिकोण को बढ़ाने के लिए इस महोत्सव में   विज्ञान  एवं प्रौद्योगिकी परिषद उत्तर प्रदेश के तत्वधान में जिला विज्ञान क्लब बाँदा की तरफ से  विज्ञान प्रौद्योगिकी संचार प्रदर्शनी का आयोजन  भी किया गया। जो कि महोत्सव का मुख्य आकर्षण का केंद्र भी रहा । जिसमें  विज्ञान के संचार व जागरूकता हेतु विभिन्न वैज्ञानिक गतिविधियों के स्टॉल प्रदर्शनी लागई गयी  जैसे चमत्कारों की वैज्ञानिक व्याख्यान, जल परीक्षण गुणवत्ता जागरूकता, विज्ञान आओ करके सीखे, खेल  खेल में गणित, के साथ साथ विभिन्न नवाचारों ने  अपने द्वारा बनाये गए पेंटेंट उत्पादन के विषय मे आम जन मानस की जानकारी प्रदान की क्योंकि वैज्ञानिक जागरूकता सभी के लिए आवश्यक हैं क्योंकि जहाँ वैज्ञानिक दृष्टिकोण होता हैं वही विकास होता हैं। इस कार्यक्रम को कराने  का श्रेय बाँदा जिले के जिला अधिकारी हीरा लाल को जाता हैं जिन्होंने इस कार्यक्रम को सफल बनाने में महत्वपूर्ण योगदान दिया।