पार्किंसन बीमारी के मरीजों के चलने में मददगार छड़ी का आविष्कार किया पार्थ ने मिला राष्ट्रीय बाल पुरस्कार

 पार्किंसन बीमारी के मरीजों के चलने में मददगार छड़ी का आविष्कार करने पार्थ बंसल को आज प्रधानमंत्री राष्ट्रीय बाल पुरस्कार 2020 दिया गया। उन्हें महामहिम राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद जी ने आज 22 जनवरी को राष्ट्रपति भवन में समारोह में पुरस्कृत किया। पार्थ एपीजे स्कूल नोएडा में कक्षा 12 के छात्र हैं।


डॉ. केएन अग्रवाल की पत्नी सुषमा छह साल पहले पार्किंसन बीमारी का शिकार हो गई थीं। इससे उन्हें चलने में परेशानी होती थी। उनके पैर आगे नहीं बढ़ते थे। दादी को राहत देने के लिए नाती पार्थ ने 12 साल की उम्र में लेजर स्टिक बनाई थी। इसकी मदद से उनकी दादी को चलने की परेशानी से निजात मिली। दवा कारोबारी संदीप बंसल के बेटे पार्थ को यह लेजर स्टिक बनाने के लिए केंद्र सरकार से जून 2019 में पेटेंट मिला। 2016 में डॉ. अब्दुल कलाम नवाचार पुरस्कार और 2018 में सूर्यदत्त यंग अचीवर नेशलन अवार्ड मिला। गूगल की ओर से गूगल वेब रेंजर चुना गया। विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी संस्थान की प्रकाशित किताब में पार्थ आविष्कार का पाठ शामिल है। राष्ट्रपति भवन में स्थाई रूप से संचालित नवाचार प्रदर्शनी में पार्थ का अविष्कार शामिल है। पार्थ के आविष्कार के कारण उनके स्कूल में स्थापित अटल टिनकेरिंग लैब को भारत सरकार ने 20 लाख रुपये का फंड दिया। रोबोटिक्स चैंपियनशिप में भाग लेने हेतु मास्को में आमंत्रित किया गया।
आईआईएम अहमदाबाद में इनोवेशन समिट में आमंत्रित करके सम्मानित किया गया। वह सबसे कम आयु के प्रतिभागी थे। न्यूज नेशन में सात मिनट की डॉक्यूमेंट्री में पार्थ के आविष्कार पर कहानी प्रसारित की गई। चार बार राष्ट्रीय और दो बार प्रदेश स्तरीय नव प्रवर्तन प्रदर्शन में प्रतिभाग किया। 1996 में कला, संगीत, अध्ययन और अन्य विशिष्ट क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य के लिए घोषित प्रधानमंत्री राष्ट्रीय बाल पुरस्कार में पार्थ को चयनित किया गया है। यह पुरस्कार 22 जनवरी को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद देंगे। इस समय पार्थ की आयु 17 साल है। 25 जनवरी को पुरस्कृत सभी बच्चों से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मिलेंगे। गणतंत्र दिवस पर आयोजित होने वाली परेड में शामिल झांकी में भी पार्थ बंसल शामिल होंगे। पार्थ की मां सपना बंसल गृहणी हैं।
क्या होती है पार्किंसन बीमारी
गणेश शंकर विद्यार्थी मेडिकल कालेज कानपुर के मेडिसिन विभाग के न्यूरो रोग विशेषज्ञ डॉ. प्रेम सिंह का कहना है कि पार्किंसन की बीमारी में मरीजों के हाथ-पैर कांपते हैं। नर्व कोशिकाएं क्षतिग्रस्त हो जाती है। मस्तिष्क में डोपामिन न्यूरो केमिकल की कमी हो जाती है।