तटीय नर्सरियाँ- मछलियोँ से ज्यादा प्लास्टिक की शरणदात्री

 


होनालुलु के समुद्री परिस्थितकीविज्ञानी हवाई द्वीप के पश्चिमी तट की समुद्री सतह की जाँच करने मे जुटे थे लेकिन जब शोधकर्ताओं ने एक विशेष नेट समुद्री सतह पर लरवेल मछली के नमूने इकट्टे करने के लिये खिंचा और सामाग्रियों की जाँच की तो उन्हें जल्द ही समझ आ गया कि उनका अध्ययन केवल मछिलयों के विषय मे नहीं होने वाली है। उनके परीणाम चोंका देने वाले थे।


जोनाथन विटनी, एक समुर्दी परिस्थितिकीविज्ञानि हैं होनालुलु मे स्थित राष्ट्रीय समुद्री व वायुमंडलीय शासन प्रबंधन संस्थान के। उन्होंने यह पुष्टि की है की समुद्र मे 8 गुना मछलियाँ ज्यादा हैं अगर उसके आस पास के क्षेत्रों से तुलना की जाय तो, जो उसे मछलियों की नसृरी की श्रेणी में रखती हैं। परंतु उसमे प्लास्टिक शिशु मछलियों की तुलना में 7 गुना ज्यादा थी। वे कहते हैं-" जो पानी ऊपर से शीशे की तरह प्रतीत होता है उसमे भी लगभग 10,000प्लास्टिक के टुकड़े हो सकते हैं। "


यह खबर केवल समुद्री परिस्थितिक के लिए ही भयप्रद् नहीं है अपितु हम मनुष्यों के लिए भी उतना ही घातक है। लरवेल मछली समुद्री भोजन तंतु मे भी मुख्य भूमिका अदा करती है क्युंकि यह बड़ी मछलियों का खाना है जो अंततः मनुष्यों का भोजन है। मुखत् लरवेल मछलियाँ प्रूढ़ता तक पहुँचने से पहले ही मर जाती हैं जिसका प्रमुख कारण प्लास्टिक खाने से उत्पन्न हुई लीवर टॉक्साइसिटी, टुमॉर्स, कुपोषण व अन्य समस्यां हैं। यह स्थिति और भी हानिकारक हो सकती है क्युंकि नेट ने बहुत से प्लास्टिक के छोटे कणों को छोड़ा होगा। अंततः, परीणाम पर्यावरण के लिए बहुत ही घातक है क्युंकि यह मानवीय दुष्परीणाम  जलवायु परिवर्तन के उसके चरम सीमा पर होने की ओर इंगित करता है।