बेहद सटीक मारक क्षमता हैं एंटी ब्लास्टिक व क्रुज मिसाइल- डॉ ट्सी थॉमस

27 वी राष्ट्रीय बाल विज्ञान कांग्रेस के दूसरे दिन आज शाम को बाल वैज्ञानिकों से बातचीत के लिए डी आर डी ओ के एरो नॉटिकल सिस्टम की महानिदेशक डॉ टसी थामस को आमंत्रित किया गया था


डॉ Tessy Apne व्याख्यान के बाद बाल वैज्ञानिकों ने उन्हें घेर लिया


उन्होंने देश भर से आये 658 बाल वैज्ञानिकों को डी आर डी ओ द्वारा युद्ध में भारत द्वारा उपयोग की जाने वाली मिसाइलों से परिचय कराया साथ ही ये भी बताया कि हम दुनिया से इस मामले में कैसे अलग हैं।


टेसि ने प्राचीन काल में उपयोग होने वाले हथियारों का भी जिक्र किया उन्होंने बताया कि रामायण काल में मरिका और सूखा जबकि महाभारत काल में ब्रहमास्त्र व सम्मोहस्त्र का उपयोग होता था। वहीं आधुनिक काल में अब उसे 3 से 5000किलोमीटर तक मार करने वाली मिसाइलों को जी एस एल वी और पी एस एल वी जैसे लॉन्च बहिकलो से छोड़ा जाता हैं।


विज्ञान के विकास से हम एयरो सिस्टम में हाइपरसोनिक सिस्टम में अा गए हैं


एयर क्राफ्ट के फैल होने के आठ मुख्य कारणों से अवगत कराते हुए बताया कि स्ट्रुक्चर, पर्यावरण, केंद्रीय सिस्टम, सॉफ्टवेयर में समस्या, इंजन में खराबी, संचार तंत्र में खराबी, नेविगेशन सिस्टम और मानवीय भूल के कारण ऐसा होता हैं।


तेसी ने बताया कि अब ड्रोन की प्रजाति के बहुत छोटे आकार के नेनो एरियल सिस्टम आ गए हैं।


साथ ही ये भी बताया कि भारत के पास अभी सात प्रकार के मिसाइल हैं


जमीन से हवा में मार करने वाले, एंटी टैंक मिसाइल, हवा से हवा में मार करने वाले, एंटी बलास्टिक, क्रूज मिसाइल और 5 प्रकार के अग्नि हैं।


बाल वैज्ञानिकों के सवालों के जवाब देते हुए उन्होंने बताया कि जमीन से जमीन तक मार करने वाली मिसाइल 15 टन तक का भार लेे जा सकती हैं


भविष्य में बिना पायलेट की यात्रा के प्रश्न पर सहमत नहीं दिखी क्योंकि इसमें मानव की सुरक्षा नहीं हैं।


स्पेस शोध सभी के लिए खुला हैं बस आपको स्वं अप्रोच करनी होगी।